आध्यात्म/Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – षष्ठम अध्याय (24) प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
षष्ठम अध्याय
( विस्तार से ध्यान योग का विषय )
सङ्कल्पप्रभवान्कामांस्त्यक्त्वा सर्वानशेषतः ।
मनसैवेन्द्रियग्रामं विनियम्य समन्ततः ।।24।।
संकल्पो से जन्मती कामनाओं का त्याग
मन के वशकर इंद्रियाँ,तज भौतिक अनुराग।।24।।
भावार्थ : संकल्प से उत्पन्न होने वाली सम्पूर्ण कामनाओं को निःशेष रूप से त्यागकर और मन द्वारा इन्द्रियों के समुदाय को सभी ओर से भलीभाँति रोककर।।24।।
Abandoning without reserve all the desires born of Sankalpa, and completely restraining the whole group of senses by the mind from all sides. ।।24।।
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर
मो ७०००३७५७९८
(हम प्रतिदिन इस ग्रंथ से एक मूल श्लोक के साथ श्लोक का हिन्दी अनुवाद जो कृति का मूल है के साथ ही गद्य में अर्थ व अंग्रेजी भाष्य भी प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।)