आध्यात्म/Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – अष्टम अध्याय (26) प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

अष्टम अध्याय

(ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर )

( शुक्ल और कृष्ण मार्ग का विषय)

 

शुक्ल कृष्णे गती ह्येते जगतः शाश्वते मते ।

एकया यात्यनावृत्ति मन्ययावर्तते पुनः ।।26।।

 

शुक्ल कृष्ण दो मार्ग हैं जग के ज्ञात महान

एक में तो निर्वाण है अन्य में फिर निर्माण।।26।।

 

भावार्थ : क्योंकि जगत के ये दो प्रकार के- शुक्ल और कृष्ण अर्थात देवयान और पितृयान मार्ग सनातन माने गए हैं। इनमें एक द्वारा गया हुआ (अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 24 के अनुसार अर्चिमार्ग से गया हुआ योगी।)– जिससे वापस नहीं लौटना पड़ता, उस परमगति को प्राप्त होता है और दूसरे के द्वारा गया हुआ ( अर्थात इसी अध्याय के श्लोक 25 के अनुसार धूममार्ग से गया हुआ सकाम कर्मयोगी।) फिर वापस आता है अर्थात्‌जन्म-मृत्यु को प्राप्त होता है।।26।।

 

The bright and the dark paths of the world are verily thought to be eternal; by the one (the bright path) a person goes not to return again, and by the other (the dark path) he returns.।।26।।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

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