श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
दशम अध्याय
( विभूति योग)
तेषां सततयुक्तानां भजतां प्रीतिपूर्वकम्।
ददामि बद्धियोगं तं येन मामुपयान्ति ते ।।10।।
उन विभोर हो भक्तिरत भक्त जो आते पास
को मैं देता बुद्धि गति भक्ति और विश्वास।।10।।
भावार्थ : उन निरंतर मेरे ध्यान आदि में लगे हुए और प्रेमपूर्वक भजने वाले भक्तों को मैं वह तत्त्वज्ञानरूप योग देता हूँ, जिससे वे मुझको ही प्राप्त होते हैं।।10।।
To them who are ever steadfast, worshipping Me with love, I give the Yoga of discrimination by which they come to Me.।।10।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर