आध्यात्म / Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – द्वितीय अध्याय (9) प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

श्रीमद् भगवत गीता

पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

द्वितीय अध्याय

साँख्य योग

( अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद )

 

संजय उवाच

एवमुक्त्वा हृषीकेशं गुडाकेशः परन्तप ।

न योत्स्य इतिगोविन्दमुक्त्वा तूष्णीं बभूव ह ।।9।।

 

संजय बोले

ऐसा कह श्री कृष्ण से अर्जुन हो चुपचाप

नहीं लडूँगा मैं प्रभो ! मन में भर संताप।।9।।

भावार्थ :   संजय बोले- हे राजन्‌! निद्रा को जीतने वाले अर्जुन अंतर्यामी श्रीकृष्ण महाराज के प्रति इस प्रकार कहकर फिर श्री गोविंद भगवान्‌ से ‘युद्ध नहीं करूँगा’ यह स्पष्ट कहकर चुप हो गए।।9।।

 

Having spoken thus to Hrishikesa (Lord of the senses), Arjuna (the conqueror of sleep), the destroyer of foes, said to Krishna: “I will not fight,” and became silent. ।।9।।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

मो ७०००३७५७९८

(हम प्रतिदिन इस ग्रंथ से एक मूल श्लोक के साथ श्लोक का हिन्दी अनुवाद जो कृति का मूल है के साथ ही गद्य में अर्थ व अंग्रेजी भाष्य भी प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।)