आध्यात्म/Spiritual ☆ श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – दशम अध्याय (19) ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध
श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
दशम अध्याय
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन)
श्रीभगवानुवाच
हन्त ते कथयिष्यामि दिव्या ह्यात्मविभूतयः ।
प्राधान्यतः कुरुश्रेष्ठ नास्त्यन्तो विस्तरस्य मे ।।19।।
भगवान बोले –
अच्छा मुख्य विभूतियाँ बतलाउँगा तात
क्योंकि अखिल अनंत है अद्धुत सब की बात।।19।।
भावार्थ : श्री भगवान बोले- हे अर्जुन! अब मैं जो मेरी दिव्य विभूतियाँ हैं, उनको तेरे लिए प्रधानता से कहूँगा; क्योंकि मेरे विस्तार का अंत नहीं है।।19।।
Very well, now I will declare to thee My divine glories in their prominence, O Arjuna! There is no end to their detailed description.।।19।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर