श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

एकादश अध्याय

(संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन )

 

संजय उवाच

एवमुक्त्वा ततो राजन्महायोगेश्वरो हरिः ।

दर्शयामास पार्थाय परमं रूपमैश्वरम्‌ ।। 9।।

 

संजय बोला –

ऐसा कह श्री कृष्ण ने किये रूप विस्तार

दिखलाये फिर पार्थ को निज ऐश्वर्य निखार ।। 9।।

भावार्थ :  संजय बोले- हे राजन्‌! महायोगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान ने इस प्रकार कहकर उसके पश्चात अर्जुन को परम ऐश्वर्ययुक्त दिव्यस्वरूप दिखलाया।। 9।।

 

Having thus spoken, O king, the great Lord of Yoga, Hari (Krishna), showed to Arjuna His supreme form as the Lord!।। 9।।

 

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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