श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
एकादश अध्याय
(संजय द्वारा धृतराष्ट्र के प्रति विश्वरूप का वर्णन )
ततः स विस्मयाविष्टो हृष्टरोमा धनञ्जयः ।
प्रणम्य शिरसा देवं कृताञ्जलिरभाषत ।। 14।।
अति विस्मित , रोमांचित , हो वह पाण्डुकुमार
हाथ जोड़ , सिर झुका के करने लगा पुकार ।। 14।।
भावार्थ : उसके अनंतर आश्चर्य से चकित और पुलकित शरीर अर्जुन प्रकाशमय विश्वरूप परमात्मा को श्रद्धा-भक्ति सहित सिर से प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोले।। 14।।
Then, Arjuna, filled with wonder and with hair standing on end, bowed down his head to the Lord and spoke with joined palms.।। 14।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर