श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
एकादश अध्याय
(अर्जुन द्वारा भगवान के विश्वरूप का देखा जाना और उनकी स्तुति करना )
अर्जुन उवाच
पश्यामि देवांस्तव देव देहे सर्वांस्तथा भूतविशेषसङ्घान् ।
ब्रह्माणमीशं कमलासनस्थमृषींश्च सर्वानुरगांश्च दिव्यान् ।। 15।।
अर्जुन ने कहा –
देव तुम्हारी देह में बसा , सकल संसार
एक साथ सब देवता , अपलक रहे निहार
कमलासन पर जगत्पति , ब्रम्हा रहे विराज
ऋषि मुनियों की भीड़ है ,साथ वृहत अहिराज ।। 15।।
भावार्थ : अर्जुन बोले- हे देव! मैं आपके शरीर में सम्पूर्ण देवों को तथा अनेक भूतों के समुदायों को, कमल के आसन पर विराजित ब्रह्मा को, महादेव को और सम्पूर्ण ऋषियों को तथा दिव्य सर्पों को देखता हूँ।। 15।।
I behold all the gods, O God, in Thy body, and hosts of various classes of beings; Brahma, the Lord, seated on the lotus, all the sages and the celestial serpents!।। 15।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर