आध्यात्म/Spiritual ☆ श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – दशम अध्याय (24) ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध
श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
दशम अध्याय
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन)
पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्।
सेनानीनामहं स्कन्दः सरसामस्मि सागरः ।।24।।
पुरोहितों में मुख्य मैं वृहस्पति सम्मान्य
सेनानियों में स्कंद मैं जलाशयों में सिंधु।।24।।
भावार्थ : पुरोहितों में मुखिया बृहस्पति मुझको जान। हे पार्थ! मैं सेनापतियों में स्कंद और जलाशयों में समुद्र हूँ।।24।।
And, among the household priests (of kings), O Arjuna, know Me to be the chief, Brihaspati; among the army generals I am Skanda; among lakes I am the ocean!।।24।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर