आध्यात्म/Spiritual ☆ श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – दशम अध्याय (26) ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध
श्रीमद् भगवत गीता
हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
दशम अध्याय
(भगवान द्वारा अपनी विभूतियों और योगशक्ति का कथन)
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।
गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ।।26।।
देवर्षियो में नारद,वृक्षों में अश्वत्थ
सिद्धों में मैं कपिल मुनि,चित्ररथ हूँ गंधर्व।।26।।
भावार्थ : मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ।।26।।
Among the trees (I am) the peepul ; among the divine sages I am Narada; among Gandharvas I am Chitraratha; among the perfected the sage Kapila.।।26।।
प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर