श्री सूरज कुमार सिंह
ई-अभिव्यक्ति संवाद में प्रतिभाशाली युवा लेखक श्री सूरज कुमार सिंह जी से प्राप्त उनकी मनोभावनाओं को काव्य स्वरुप में पाकर आज मैं निःशब्द हूँ। इस अपार स्नेह को पाकर मैं अत्यंत भावुक हो गया हूँ, मेरे नेत्र नम हैं और उनके उद्गारों को उसी स्वरुप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ। आप सब का स्नेह ही मेरी अमूल्य पूँजी है जो मुझे कठिन समय में भी पुनः उठ कर चलने के लिए प्रेरित करती है। मैं अत्यंत भाग्यशाली हूँ कि मुझे ई-अभिव्यक्ति के सम्माननीय वरिष्ठ सदस्यों का आशीर्वाद एवं सभी सदस्यों का स्नेह प्राप्त हो रहा है। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप सब का स्नेह ऐसे ही मिलता रहे एवं माँ सरस्वती की कृपा बनी रहे।
? ई-अभिव्यक्ति परिवार के सभी सदस्यों का ह्रदय से आभार?
– हेमन्त बावनकर
मनोगत – यह ई-अभिव्यक्ति परिवार……
ऐसे हैं हमारे हेमंत सर
साहित्य ही जीवन है जिनका
जिनके लेखन मे करुणा अपार है
शब्द मात्र पर्याप्त नही
इन सज्जन की अभिव्यक्ति को
मेरा नमन इन्हे बारंबार है
प्रिय हेमंत सर हमारे
तीक्ष्ण धूप मे हैं छाँव जैसे
इसी छाँव तले
हमारी कल्पनाएं यूँ ही पले
सपने न बस देखे
पर किए उन्हे साकार
इस प्रकार खड़ा हुआ
यह ई-अभिव्यक्ति परिवार
जीवन रहा है चुनौतियों से भरपूर
हर चुनौती को सहज स्वीकारा है
यूँ ही नही बने आदर्श हमारे
इनके संकल्प से तो
मुश्किल से मुश्किल दौर भी हारा है
है यह एक परिवार बड़ा
इसके मुखिया आप हैं
हम तो हैं बस इसकी कड़ियां हैं
कड़ियां जोड़ने वाली डोर आप हैं
आशा यह भी रखता हूं कि
जब भी मेरी कलम चले
सबसे उम्दा रचनाएं प्रस्फुटित हों
और अभिव्यक्तियों के इस उपवन मे
उनकी सुगंध घुले
© श्री सूरज कुमार सिंह
रांची, झारखंड