ई-अभिव्यक्ति: संवाद-14 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–14  

साहित्य में नित नए प्रयोग करने के लिए हम कृतसंकल्प हैं।

विगत जबलपुर प्रवास के दौरान संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ व्यंग्यकार मित्र श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी से चर्चा के दौरान पता चला कि उन्होने  साहित्य में  एक  प्रयोग करने का प्रयास किया जो कि वास्तव में सफल सिद्ध हुआ।

हमें सम्पूर्ण राष्ट्र से विभिन्न वरिष्ठ लेखकों से साहित्य के विभिन्न स्वरूपों एवं विभिन्न विधाओं में 30 से अधिक उत्तर प्राप्त हुए हैं जो अपने आप में मिसाल हैं। जिन्हें हम क्रमानुसार आपसे साझा कर रहे हैं।

इस संदर्भ में आप ई-अभिव्यक्ति संवाद-2 का अवलोकन करें। 

हम लोग बड़े सौभाग्यशाली हैं की हमारी पीढ़ी के कई साहित्यकारों का  हरीशंकर परसाईं जी से प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष सरोकार रहा है। उनमें मेरे एक वरिष्ठ साहित्यकार मित्र  श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी भी हैं।  हाल ही में मुझे उनका एक संदेश मिला जो निश्चित ही मेरे मित्रों को भी मिला होगा यह संदेश मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ ताकि आप भी उस खेल में सहभागी बन सकें।

इस खेल में आप अपना उत्तर हिन्दी, मराठी या अङ्ग्रेज़ी में प्रेषित कर सकते हैं।  

महोदय जी,

कृपया इस सवाल का जवाब कम से कम 100 शब्दों में और अधिक से अधिक 800 शब्दों में देने का कष्ट करें 

प्रश्न –  आज के संदर्भ में लेखक क्या समाज के घोड़े की आँख है या लगाम?

उत्तर –  (उत्तर के साथ अपना चित्र भी भेजें) 

 

 (उत्तर आप  [email protected] पर प्रेषित कर सकते हैं।)

फिर देर किस बात की उठाइये अपनी कलम और दौड़ा दीजिये दिमाग के घोड़े, समाज के घोड़े के लिए।

 

आज बस इतना ही

 

हेमन्त बावनकर

30 मार्च 2019