ई-अभिव्यक्ति: संवाद–45
☆ ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 49 ☆ ई- अभिव्यक्ति को अपार स्नेह एवं प्रतिसाद के लिए आप सबका ह्रदय से आभार ☆
प्रिय मित्रों,
इन दो महीनों में प्राप्त आप सबके स्नेह एवं प्रतिसाद से मैं पुनः अभिभूत हूँ और इन पंक्तियों को पुनः लिखना मेरे जीवन के अत्यंत भावुक क्षणों में से एक हैं। अप्रैल माह में हमने दो महत्वपूर्ण उपलब्धियां आपसे साझा की थीं। इन उपलब्धियों ने मुझे असीमित ऊर्जा प्रदान की एवं एक जिम्मेदारी का अहसास भी कि आपको और अधिक स्तरीय सकारात्मक साहित्य दे सकूं। ईश्वर ने ई-अभिव्यक्ति संवाद के माध्यम से मुझे आप सबसे जुड़ने के ऐसे कई अवसर प्रदान किये हैं ।
आपकी अपनी वेबसाइट को 2 वर्ष से भी कम समय में 2,00,500+ विजिटर्स मिल सकेंगे इसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। यह हमारे सम्माननीय लेखक गण का सतत प्रयास है जो हमारे प्रबुद्ध पाठकों को जोड़ने में सफल रहे हैं और सतत रहेंगे ऐसी ईश्वर से कामना है। मैं आप दोनों के मध्य एक निमित्त मात्र हूँ, जिसके जिम्मेवारी संभवतः ईश्वर ने मुझे दी है ऐसी मेरी कल्पना है। यह प्रयास यह भी सिद्ध करता है कि सकारात्मक और स्तरीय साहित्य की अभी भी आवश्यकता बनी हुई है।
इन सद्प्रयासों के पीछे स्वर्गीय पिताश्री टी डी बावनकर, गुरुवर डॉ राजकुमार तिवारी ‘ सुमित्र’ जी एवं मेरे प्रथम प्राचार्य प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव जी का वरद हस्त सदैव रहेगा ऐसी मनोभावना है।
इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में नाम दर्ज होना और ई – अभिव्यक्ति को बेस्ट इंडियन ब्लॉग साइट्स की डाइरेक्टरी में स्थान पाना एक अविस्मरणीय क्षण था।
मेरी प्रसन्नता यहीं समाप्त नहीं होती। आज एक और व्यक्तिगत प्रसन्नता के क्षण आपसे साझा करना चाहूंगा। आज ही मेरा एक काव्य संग्रह “तो कुछ कहूँ ……..” का ई बुक संस्करण अमेज़न किंडल लाइव हुआ है, जिसे आप अमेजन की साईट से अपने मोबाईल/ डेस्कटॉप / एप्पल आईफोन में सीधे डाउनलोड कर पढ़ सकते हैं । इसके पूर्व आपको Google Playstore से Amazon Kindle App फ्री डाउन लोड करना पड़ेगा।
अमेज़न लिंक >>>> तो कुछ कहूँ ……..
मेरी अन्य ई बुक्स आप इस अमेजन लिंक पर पढ़ सकते हैं >>>>> हेमन्त बावनकर की अन्य पुस्तकें
आशा है आपका स्नेह एवं आशीर्वाद ऐसा ही बना रहेगा एवं आप सब के सहयोग से हम सब मिलकर डिजिटल माध्यम में साहित्य सेवा के क्षेत्र में नए आयाम गढ़ सकेंगे।
हम ई-अभिव्यक्ति में नवीन सकारात्मक तकनीकी एवं साहित्यिक प्रयोगों के लिए कटिबद्ध हैं।
इन उपलब्धियों के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ।
☆ मानवता का अदृश्य शत्रु कोरोना ☆
आज विश्व में मानवता अत्यंत कठिन दौर से गुजर रही है। विश्व के समस्त मानव जिनमें साहित्यकार / कलाकार / रंगकर्मी भी संवेदनशील मानवता के अभिन्न अंग हैं और अत्यंत विचलित हैं ‘ कोरोना’ जैसी विश्वमारी य महामारी जैसे प्रकोप /त्रासदी से । इतनी सुन्दर सुरम्य प्रकृति, हरे भरे वन-उपवन, नदी झरने, घाटियां, पर्वत श्रृंखलाएं और कहीं कहीं तो शांत बर्फ की सफ़ेद चादर और भी न जाने क्या क्या हमें प्रकृति ने उपहारस्वरूप दिया है ।
हम सदैव मानवीय आधारों पर सकारात्मक साहित्य देने हेतु कटिबद्ध हैं।
ई – अभिव्यक्ति कभी भी किसी भी प्रकार की किसी भी पुष्ट अथवा अपुष्ट वैज्ञानिक जानकारी एवं अफवाहों पर कदापि कोई विमर्श नहीं करता। इस वैश्विक एवं राष्ट्रीय आपदा में आप सबसे निवेदन है कि सरकार द्वारा तय नियमों का कठोरता से पालन करें। इसी में हम सबकी भलाई है, मानवता की भलाई है।
बस इतना ही।
हेमन्त बावनकर
8 मई 2020
‘ई-अभिव्यक्ति’ को जिस समर्पण और निष्ठा से आप चला रहे हैं, उसे देखते हुए यह समकालीन ई-पत्रिकाओं में अंगद का पैर सिद्ध हुई है। आगामी समय में अनेकानेक उपलब्धियाँ इस पत्रिका के नाम होंगी, इसका विश्वास भी है। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ।
आपकी पुस्तक का ई-प्लेटफॉर्म पर प्रकाशन अत्यंत आनंद का विषय है। आशा है कि आपकी कहन पाठक को अपनी अनुभूति लगेगी।….निरंतर कहते रहिए।…हृदय से बधाई।
बहुत बढ़िया। इस तरह की उपलब्धियों पर गर्व होता है हमारे भाई की मेहनत लगन ऊंचाईयां छू रही है। बहुत बधाई