बुद्ध पूर्णिमा विशेष

कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है  बुद्ध पूर्णिमा के पर्व पर विशेष कविता  “संबोधी तत्व )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विजय साहित्य ☆

☆ बुद्ध पूर्णिमा विशेष – संबोधी तत्व ☆

शुद्ध वैशाख पौर्णिमा

गौतमास ज्ञान प्राप्ती.

भवदुःखे हरण्याला

पंचशील ध्येय व्याप्ती. . . !

 

शोधियले दुःख मूळ

बौद्ध धर्म स्थापियला

समानता, मानवता

करूणेत  साकारला. . . . !

 

जग रहाटी जाणता

लोभ, तृष्णा, आकलन

मुळ शोधूनी दुःखाचे

केले त्याचे निर्दालन . . . !

 

जन्म मृत्यू  समुत्पाद

सांगितले सारामृत.

वैरभाव विसरोनी

दिले जगा बोधामृत.. . !

 

बुद्ध करूणा सागर

बुद्ध  असे  भूतदया.

सा-या नैतिक तत्वांची

अंतरात बुद्धगया . . . !

 

बोधीवृक्ष संबोधीने

आर्य सत्य साक्षात्कार .

असामान्य गुणवत्ता

ध्यान मार्गी चमत्कार. . . . !

 

(श्री विजय यशवंत सातपुते जी के फेसबुक से साभार)

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

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