डाॅ. निशिकांत श्रोत्री 

? इंद्रधनुष्य ?

☆ श्री महागणेश पञ्चरत्नस्तोत्रम्– (मूळ रचना : आदी शंकराचार्य) — मराठी भावानुवाद ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्

कलाधरावतंसकं विलासलोक रक्षकम्।

अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम्

नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥

 

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम्

नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्धरम्।

सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं

महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥

 

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्यकुंजरं

दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम्।

कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं

मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥

 

अकिंचनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं

पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम्।

प्रपंच नाश भीषणं धनंजयादि भूषणं

कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम् ॥४॥

 

नितान्त कान्त दन्त कान्ति मन्त कान्तिकात्मजं

 अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम्।

हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां

तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम्॥५॥

 

महागणेश पंचरत्नमादरेण योऽन्वहं

प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्।

अरोगतां अदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां

समीहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात्॥६॥

॥इति श्रीआदिशंकराचार्य विरचित श्रीमहागणेश स्तोत्रं संपूर्णम्॥

 

श्रीमहागणेश पञ्चरत्न स्तोत्र

मराठी भावानुवाद 

शिरावरी शशीरूपे किरीट हा विराजतो 

अनायकांचा नायक गजासुरा काळ तो

विमुक्तिचा जो साधक सर्वपाप नाशक 

अर्चना विनायका अर्पुनिया मोदक ||१||

 

सूर वा असूर वा नतमस्तक तव चरणी

तेज जणू उषःकाल सर्वश्रेष्ठ देवगणी

सुरेश्वरा निधीश्वरा गजेश्वरा गणेश्वरा 

तव आश्रय मागतो ध्यानि-मनि महेश्वरा ||२||

 

गजासुरा वधूनिया सुखा दिले सकल जना 

तुंदिल तनु शोभते तेजस्वि गजानना 

बुद्धि यशाचा दाता अविनाशी भगवन्ता

क्षमाशील तेजस्वी तुज अर्पण शत नमना ||३||

 

सुरारि नाश कारण दीनांचे दुःखहरण 

प्रपंच क्लेशनाशक धनंजयादि भूषण

शिवपुत्र तव नाम  नाग दिव्यभूषण

तुझे दानवारी रे पुराण भजन गजानन ||४||

 

तेजोमय अतिसुंदर शुभ्र दंत शोभतो 

मतीतीत तव रूप  बाधेसीया हरतो

योगिहृदयी अविनाशी वास करी शाश्वत

एकदंत दर्शन दे सदा तुझ्या चिंतनात ||५||

 

पठण प्रातःकाल नित्य हे महागणेश स्तोत्र 

स्मरितो श्रीगणेश्वरा हृदयातुन पञ्चरत्न

निरामय क्लेशमुक्त ज्ञानभुषण  जीवन 

अध्यात्मिक भौतीक शांति मिळे शाश्वत ||६||

॥इति श्रीआदिशंकराचार्य विरचित निशिकान्त भावानुवादित श्रीमहागणेश स्तोत्र संपूर्ण॥

भावानुवाद : डॉ. निशिकांत श्रोत्री 

९८९०११७७५४

[email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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