डाॅ. निशिकांत श्रोत्री
इंद्रधनुष्य
☆ कल्याणकारी सूर्यस्तोत्र ☆ डाॅ. निशिकांत श्रोत्री ☆
संस्कृत स्तोत्र :-
ॐ विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्रीमाँल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः॥
लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
तपनस्तापनश्चैव शुचिः सप्ताश्ववाहनः॥
गभस्तिहस्तो ब्रह्मा च सर्वदेवनमस्कृतः।
एकविंशतिरित्येष स्तव इष्टः सदा रवेः॥
— ब्रह्मपुराण
मराठी भावानुवाद
ॐ
विकर्तन विवस्वान मार्तंड रवी भास्कर
लोकप्रकाशक श्रीमान लोकचक्षु महेश्वर
तपन तापन शुचि तथा सप्तअश्ववाहन
गभस्तिहस्त ब्रह्मा सर्वदेव करिती वंदन
त्रिलोकेश कर्ता हर्ता तमिस्रहा लोकसाक्षी
एकवीस नामांचे हे स्तोत्र अतिप्रिय सूर्यासी
॥ इति निशिकान्त भावानुवादित कल्याणकारी सूर्यस्तोत्र संपूर्ण ॥
© डॉ. निशिकान्त श्रोत्री
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈