मराठी साहित्य – कविता – स्मृति-गंध  – श्री सदानंद आंबेकर 

श्री सदानंद आंबेकर 

 

 

 

 

 

(श्री सदानंद आंबेकर जी की हिन्दी एवं मराठी साहित्य लेखन में विशेष अभिरुचि है।  गायत्री तीर्थ  शांतिकुंज, हरिद्वार के निर्मल गंगा जन अभियान के अंतर्गत गंगा स्वच्छता जन-जागरण हेतु गंगा तट पर 2013 से  निरंतर प्रवास

हम श्री सदानंद आंबेकर जी  के आभारी हैं इस अत्यंत  भावप्रवण मराठी कविता के लिए)

पाहुनि इवल्याश्या चोची,
              चीव-चीव ऐकोनि,
स्मृति उजळली आईची ती, अश्रु गेले वाहोनि।
स्नेहाची ती मधुर छाया,
                    वर्षणारी सतत माया,
निर्मिली माझी ही काया,
                    राहुनि तुझियाच पाया,
आज दरवळला स्मृतिंचा- गंध- दृश्य पाहोनि. . . . . .
हात धरुनि चालवीले,
                    कष्ट सोसुनि वाढवीले,
तम जगाचा घालवीला,
                    जन्म माझा सुखद झाला,
व्यक्त करितो भाव माझे- स्मृति तुझ्या रेखाटुनि. . . . .
©  सदानंद आंबेकर