श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे
(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है। दिनांक ५-६-२० वटपौर्णिमा व जागतिक पर्यावरण दिवस के अवसर पर आज प्रस्तुत है श्रीमती उर्मिला जी की रचना “ वृक्षवल्लरी लावु चला या”। उनकी मनोभावनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए अनुकरणीय है। ऐसे सामाजिक / धार्मिक /पारिवारिक साहित्य की रचना करने वाली श्रीमती उर्मिला जी की लेखनी को सादर नमन। )
☆ केल्याने होतं आहे रे # 36 ☆
माझ्या वृक्षवल्लरी लावु चला या कवितेतील पहिले कडवे :-
चला चला रे चला चला..
वृक्षवल्लरी लावु चला……!!धृ.!!
वटवृक्षाची आगळीच शान !
हिरव्या हिरव्या पानांत बुंदके लाल छान !
वटपौर्णिमेला ह्यालाच मान !
आधारवड हा पांतंस्थांचा ,पक्षीगणांचा !
रक्षण त्यांचे करु चलाऽऽ….
चला चला रे चला चला………
©️®️उर्मिला इंगळे
सातारा
दिनांक: 05 -06-20.
!!श्रीकृष्णार्पणमस्तु!!
सुंदर कविता