मराठी साहित्य – कविता ☆ मैत्री तुझी माझी . . !☆ – कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

 

(आज प्रस्तुत है कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की एक मैत्री  दिवस  पर विशेष कविता  मैत्री तुझी माझी . . !

हम भले ही  मित्रता दिवस वर्ष में एक ही दिन मनाते और मित्रों का स्मरण करते हैं।  किन्तु, मित्रता सारे वर्ष निभाते हैं। अतः  मित्रता दिवस पर प्राप्त आलेखों एवं कविताओं का प्रकाशन सतत जारी है। कृपया पढ़ें, अपनी प्रतिक्रियाएँ दें तथा उन्हें आत्मसात करें।) )

 

☆ मैत्री तुझी माझी . . !☆

 

मैत्री फुलावी काळजातून

जीवनकाठी बहरावी

जशी पालवी शब्दातून.

मनामनातून लहरावी . . . . !

 

मैत्री अपुली अवीट गाणे

सदा रहावे ओठावरती

आठवणींचे हळवे कडवे

धून मैत्रीची रसरसती .. . !

 

तुझी नी भाझी भावस्पंदने

या मैत्रीने टिपून घ्यावी

संकटकाळी हाकेसरशी

अंतरातूनी  धावत यावी.. . !

 

संकटातल्या पाणवठ्यावर

शब्द घनांचे  अविरत देणे

हात मैत्रीचे गुंफत जाणे

मैत्री म्हणजे कोरीव लेणे . . . . !

 

स्नेहमैत्रीचा अमोल ठेवा

जपणारा तो ‘जयवंत ‘.

एक दिलासा  ‘यशवंत ‘

मित्र असावा गुणवंत.. . . !

 

काळजाचे काळजावर

अभिजात भाष्य

मैत्री  नसावे दास्य

मैत्री अवखळ हास्य .. . . . !

 

✒  © विजय यशवंत सातपुते

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