कविराज विजय यशवंत सातपुते
(समाज , संस्कृति, साहित्य में ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले कविराज विजय यशवंत सातपुते जी की सोशल मीडिया की टेगलाइन “माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण कविता “फुलपाखरू” )
☆ विजय साहित्य – फुलपाखरू ☆
फुल पाखरू
रंग हवेचे
इवले डोळे
चित्र मजेचे….!
फुल पाखरू
नाजुक काया
मकरंदाची
जमवी माया….!
फुल पाखरू
थवे फुलांचे
भिरभिरणारे
पंख मुलांचे….!
फुल पाखरु
पंख रेशमी
हाती बसता
आनंद मनी…..!
फुल पाखरू
मना मोहवी
रंग सावली
कुणा बोलवी…!
फुल पाखरू
माझे मीपण
आठवणींचे
दैवी रिंगण…!
© विजय यशवंत सातपुते
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