कविराज विजय यशवंत सातपुते

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। कुछ रचनाये सदैव समसामयिक होती हैं। आज प्रस्तुत है  धर्मवीर संभाजी महाराज जयंती के  अवसर पर आपकी विशेष कविता  “धर्मवीर शंभू  )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विजय साहित्य ☆

☆ धर्मवीर संभाजी महाराज जयंती विशेष – धर्मवीर शंभू ☆

संस्कृत पंडित  । स्वराज्याचे वीर ॥

ज्ञानी शाक्तवीर   । शंभू राजे ॥ 1 ॥

 

नखशिख आणि   | सात सतकाचे ॥

बुधभुषणाचे । ग्रंथकार ॥ 2 ॥

 

भाषा व्याकरण  | धर्मशास्त्र निती ॥

तत्वज्ञान रिती । अभ्यासिली ॥ 3 ॥

 

धर्मवीर शंभू  । ओलीस राहिले ॥

संघर्ष साहिले ।  मोगलांचे ॥ 4 ॥

 

मल्लखांब कुस्ती   । मर्दानी खेळात॥

आखाडे  मेळ्यात  । तरबेज ॥ 5 ॥

 

सप्त हजाराचे  | मनसबदार ॥

कर्तृत्वास धार  | दशवर्षी ॥ 6॥

 

संभाषण कला | मुत्सद्दी पणाचे ॥

धर्म रक्षणाचे  |  बाळकडू ॥7 ॥

 

यवनी गोटात | शिरूनी जाणले॥

जेरीस  आणले ।  औरंग्यास ॥ 8॥

 

शिवाजी नंतर । स्वराज्य रक्षण  ॥

केले संरक्षण    ।  रयतेचे  ॥ 9 ॥

 

संभाजी राजांची  । येसूबाई राणी॥

कर्तृत्वाच्या खाणी  ।  स्वराज्यात   ॥ 10 ॥

 

कुलमुखत्यार  । राणी येसूबाई ॥

स्वराज्याची माई  ।  शंभू भार्या ॥ 11 ॥

 

भेदरला काळ ।  विरश्री मरण॥

संभाजी स्मरण । स्फूर्तीदायी   ॥ 12 ॥

 

(श्री विजय यशवंत सातपुते जी के फेसबुक से साभार)

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

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Prabha Sonawane

खूप सुंदर रचना