श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे
(श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी । अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित । दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित । एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित। समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताओं का प्रसारण। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त । विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर सेवाएं प्रदत्त । हाल ही में काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित । इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है ।आज प्रस्तुत है उनकी एक भावप्रवण कविता “बोचरे शब्द“.)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या # 21 ☆
☆ बोचरे शब्द ☆
टोचणी मनाला,चरे हृदयाला
पाझर फुटला,द्वय नयनाला ।।
शब्दांचे ते तीर,भिडे काळजाला
वाहू लागे मनी,जखम भळभळा ।।
तिरस्कारयुक्त ,नजरेचा भाला
जिव्हारी लागला,पूर आसवाला ।।
अंतरी गर्भातून,करुण स्वर आला
क्षतविक्षत भावना,घाव वेदनेला ।।
खोटे नातेगोते,बोलवू कुणाला
वाटे संपवून टाक,दुःखी जीवनाला ।।
संपल्या अपेक्षा,अर्थ ना जगण्याला
आता एकच सरण,हवे विसाव्याला ।।
© प्रभाकर महादेवराव धोपटे
मंगलप्रभू,समाधी वार्ड, चंद्रपूर, पिन कोड 442402 ( महाराष्ट्र ) मो +919822721981
सुरेख कविता..