मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना
श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे
( ई-अभिव्यक्ति में श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी के साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या को प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष है। आप मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित हो चुके हैं। एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन हैं । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित हो चुके हैं। आपके समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताएं प्रसारित होती रहती हैं। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त आप विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अभी हाल ही में आपका एक काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुआ है, जिसे अपेक्षा से अधिक प्रतिसाद मिल रहा है। इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है । आज प्रस्तुत है उनकी एक समसामयिक एवं शिक्षाप्रद कविता “विषाणू“.)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या # 4 ☆
☆ कविता – विषाणू ☆
एक विषाणू जगास अवघ्या देतोय धोखा
कोरोनाला रोखा आता कोरोनाला रोखा!!
चायना इटली स्पेन फ्रान्स आले कचाट्यात
दुर्लक्षित केले म्हणुनी ,मेले हजारांत
बाधितांना वेगळ्या कक्षात नेऊनी रोखा!!
सांगितलेल्या सर्व सुचना पाळाव्या निक्षुनी
प्रत्येकाने घरात अपुल्या रहावे दक्षतेनी
अत्यावश्यक कार्ये देखील जमे तोवरी रोखा !!
वारंवार हात धुवा, चेह-याला लावू नका
विषाणूसाखळी तुटेपावेतो कुठेही जावू नका
प्रत्येकाने संकल्प हा मनी धरावा सोपा !!
प्रशासनाने शक्य तेवढे सर्व काही केले
कोरोनाला रोखण्या जनतेला अपील केले
भारतियांनो कोरोनाला मिळेल तेथे ठेचा!!