मानवीय एवं राष्ट्रीय हित में रचित रचना

श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे

ई-अभिव्यक्ति में श्री प्रभाकर महादेवराव धोपटे जी  के साप्ताहिक स्तम्भ – स्वप्नपाकळ्या को प्रस्तुत करते हुए हमें अपार हर्ष है। आप मराठी साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वेस्टर्न  कोलफ़ील्ड्स लिमिटेड, चंद्रपुर क्षेत्र से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। अब तक आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें दो काव्य संग्रह एवं एक आलेख संग्रह (अनुभव कथन) प्रकाशित हो चुके हैं। एक विनोदपूर्ण एकांकी प्रकाशनाधीन हैं । कई पुरस्कारों /सम्मानों से पुरस्कृत / सम्मानित हो चुके हैं। आपके समय-समय पर आकाशवाणी से काव्य पाठ तथा वार्ताएं प्रसारित होती रहती हैं। प्रदेश में विभिन्न कवि सम्मेलनों में आपको निमंत्रित कवि के रूप में सम्मान प्राप्त है।  इसके अतिरिक्त आप विदर्भ क्षेत्र की प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं के विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। अभी हाल ही में आपका एक काव्य संग्रह – स्वप्नपाकळ्या, संवेदना प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुआ है, जिसे अपेक्षा से अधिक प्रतिसाद मिल रहा है। इस साप्ताहिक स्तम्भ का शीर्षक इस काव्य संग्रह  “स्वप्नपाकळ्या” से प्रेरित है । आज प्रस्तुत है उनकी एक समसामयिक एवं शिक्षाप्रद कविता “लक्ष्मणरेषा“.) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – स्वप्नपाकळ्या # 6 ☆

☆ कविता – लक्ष्मणरेषा

लक्ष्मणाने आखलेली लक्ष्मणरेषा

नाही पाळली सीतेने, म्हणून तिला

पळवून नेली रावणाने

अडविले प्रयत्नपुर्वक जटायुने

विलगीकरणात बसविले

लंकेच्या अशोक वाटिकेने

शोधुन काढले हनुमानाने

सेतू पार केला सुग्रीवसेनेने

रावणाला मारून सोडविले रामलक्ष्मणाने

खरं सांगा, नकोच पार करायला होती नं,

लक्ष्मणरेषा सीतेने……..

 

ललकारले त्वेषात सुग्रीवाने

रोखले गुहेतच पत्नी ताराने

न ऐकता वाली बाहेर आला

अतिशय रागारागाने

शक्तीमान असुनही

विनाकारण मारल्या गेला

केवळ बाहेर आल्याने

खरं सांगा,नकोच बाहेर यायला

पाहिजे होते नं

वाली राजाने………

 

लंकेत सुखी होता रावण

त्याला उचकविले शुर्पनखेने

समज दिली बिभिषनाने

परोपरीने समजाविले मंदोदरीने

नका लंकेबाहेर जाऊ राजन

सीता प्रलोभणाने

पण कुणाचेही न ऐकता

रावण लंकेबाहेर गेला हेक्याने

शेवटी,युद्धात मारला गेला

बंधू पुत्रासह अती गर्वाने

खरं सांगा, नकोच बाहेर जायला पाहिजे होते नं

सीताहरणासाठी रावणाने……….

 

म्हणून सांगतो महिला पुरूषांनो

घरातच राहिले पाहिजे सुखाने

घराची लक्ष्मणरेषा ओलांडून

बाहेर जाऊ नका हेक्याने

नाहीतर कोरोनामुळे विनाकारण बळी जाल धोक्याने..,………

 

©  प्रभाकर महादेवराव धोपटे

मंगलप्रभू,समाधी वार्ड, चंद्रपूर,  पिन कोड 442402 ( महाराष्ट्र ) मो +919822721981

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments