ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक-2
(समाज , संस्कृति, साहित्य में ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले कविराज विजय यशवंत सातपुते जी की सोशल मीडिया की टेगलाइन “माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। इस अवसर पर प्रस्तुत है उनकी मराठी कविता- महात्मा गांधी….!)
लढा अहिंसेचा बापू
अजूनही आठवतो
जग जोडण्याचा वसा
महात्म्यात विसावतो.
चरख्याचा मूलमंत्र
एकसूत्री गुंफियेला
बांधवांचा राष्ट्र पिता
शासनाने संबोधिला.
धोती पंचा हाती काठी
सत्याग्रह चळवळ
देश राहो एकसंध
हीच मनी तळमळ.
अहिंसेच्या तत्वातून
देशसेवा आकारली.
रूपयांच्या नोटांवर
गांधी छबी साकारली.
दिडशेवा जन्मदिन
तत्वनिष्ठ कोंदणात.
न्याय, निती प्रणालीत
आहे नेता स्मरणात…. !
विचारांचा झाला घात
झाली हत्या मानवाची
मना मनात राहिली
मूर्ती एक कर्तृत्वाची… !
© विजय यशवंत सातपुते
यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी, सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.
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