मराठी साहित्य – कविता –  *  तिरंगी झेंडा  *  – सुश्री स्वप्ना अमृतकर

गणतन्त्रता दिवस विशेष 
  *  तिरंगी झेंडा  *  
काव्यप्रकार : हायकू
तिरंगी झेंडा
उभारला नभांत
गर्व मनांत             १
देशाचा झेंडा
जेव्हा रोवला माती
स्फुरली छाती         २
पराभवांनी
नाही कधी थकला
फडफडला               ३
गाजला सदा
रंग महानतेचा
पवित्रतेचा                 ४
वंदितो तुला
स्पर्शाविना ह्रद्ह्यात
क्षणांक्षणांत                ५
© स्वप्ना अमृतकर (पुणे)