सौ.वंदना अशोक हुळबत्ते

? कवितेचा उत्सव ?

☆ काळीज तुकडा ☆ सौ.वंदना अशोक हुळबत्ते 

काळीज तुकडा | दिला विहिणीनं|

करीन जतन | रत्ना परी ||

 

सून माझी जाई | नाजूक साजूक |

दिसते मोहक | फुला परी ||

 

सून म्हणे माय | जोडतसे नाते |

भांडणं करते | लेकी परी ||

 

लेकीच्या मायेने | वावरते नार |

उजळाया घर | आली सून ||

 

सून माझी गुणी | मायेनं वागते |

आपलं मानते | सासर हे ||

 

शेजार पाजार | संभाळून घेते |

निभवते नाते | प्रेमाने ती ||

 

© सौ.वंदना अशोक हुळबत्ते

सांगली

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments