(आज प्रस्तुत है सुश्री प्रभा सोनवणे जी के साप्ताहिक स्तम्भ “कवितेच्या प्रदेशात” में उनकी पुरानी डायरी से सत्रह वर्ष पूर्व हृदय में उपजी एक कविता “चांदणे” मात्र सितारों के गाँव में चन्द्रमा के जन्म और चाँदनी बिखेरने की ही गाथा नहीं है अपितु, सुश्री प्रभा जी के संस्मरणों की गाथा में अंधकार में उपजे चन्द्रमा के प्रकाश का एक अंश प्रतीत होता है. निःसंदेह जीवन के कितने भी वर्षों पूर्व लिखी रचना उन वर्षों की स्मृति के साथ जुडी कई गाथाएं अपने आप अंतर्मन में कह जाती हैं .सुश्री प्रभा जी की कवितायें इतनी हृदयस्पर्शी होती हैं कि- कलम उनकी सम्माननीय रचनाओं पर या तो लिखे बिना बढ़ नहीं पाती अथवा निःशब्द हो जाती हैं। सुश्री प्रभा जी की कलम को पुनः नमन।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित ही प्रत्येक बुधवार सुश्री प्रभा जी की रचना की प्रतीक्षा करते होंगे. आप प्रत्येक बुधवार को सुश्री प्रभा जी के उत्कृष्ट साहित्य का साप्ताहिक स्तम्भ – “कवितेच्या प्रदेशात” पढ़ सकते हैं।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कवितेच्या प्रदेशात # 20 ☆
☆ चांदणे ☆
मध्यरात्री जन्मताना घेऊन आले चांदणे
गर्द काळ्या त्या तमाला भेदून आले चांदणे
जन्म जेथे जाहला त्या गावात माझा चांदवा
त्याच गावी आठवांचे ठेवून आले चांदणे
ती किशोरी धीट स्वप्ने गंधाळली तेजाळली
मी दुपारी तप्त सूर्या देवून आले चांदणे
नेहमी मी मोह फसवे हेटाळले या जीवनी
संशायाचे बीज का हो पेरून आले चांदणे
दूषणे सा-या जगाची सोसून मी तारांगणी
पौर्णिमेने ढाळलेले वेचून आले चांदणे
जीवनाचे गीत गाता आसावरी झंकारली
आर्ततेचे सूर सारे छेडून आले चांदणे
तारकांचा गाव आता देतो “प्रभा” आमंत्रणे
शुभ्र साध्या भावनांचे लेवून आले चांदणे
© प्रभा सोनवणे,
(सतरा वर्षापूर्वी ची रचनाआहे. मध्यरात्री सुचलेली)
“सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011
मोबाईल-९२७०७२९५०३, email- [email protected]
धन्यवाद हेमंतजी