मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ रंजना जी यांचे साहित्य #- 21 – स्त्री जन्म  ☆ – श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है  स्त्री जन्म  और उससे  जुडी हुई विसंगतियों पर आधारित एक भावप्रवण कविता  – “स्त्री जन्म । )

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 22☆ 

 

 ☆ स्त्री जन्म  ☆

 

लाभलासे स्त्री जन्म हा

लेक तुझी मी भाग्याची।

दोन्ही कुळं उद्धरीन

जाण मनी तव कार्याची।

 

शिक्षण रुपी रसाचे

करीन नित्य  मंथन।

स्वत्व लेणे उजळीन

करून मनी चिंतन।

 

आदर्श संसार जणू

वान घेतले सतीचे।

कर्तृत्वाने मिरवीन

नाव माझिया पतीचे।

 

काम क्रोध लोभ सारे

जसे मायावी हरिण।

सद्बुद्धी हात हाती

अखंडीत मी धरीन ।

 

मद मोह मत्सराने

खीळ तुटते नात्याची।

पाजता ग प्रेमामृत

बाधा टळली वैऱ्यांची।

 

सत्कर्माच्या वृंदावनी

दारी लाविते तुळस।

उद्योगाचे घाली पाणी

नित्य सोडून आळस।

 

स्त्री जन्माच्या कळसाला

असे त्यागाचा आधार।

उमगता संसाराचे

होई स्वप्न हे साकार।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105