मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ रंजना जी यांचे साहित्य #- 23 – कॉपी ☆ – श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है शिक्षिका के कलम से एक भावप्रवण कविता – “कॉपी”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 23☆
☆ कॉपी ☆
कॉपी मुक्त शिक्षणाची
आज मांडली से थट्टा ।
पेपर फुटीला ऊधान
लावी गुणवत्तेला बट्टा।
गरिबाचं पोरं वेडं
दिनरात अभ्यासानं।
ऐनवेळी रोवी झेंडा
गठ्ठेवाला धनवान ।
सार्या शिक्षणाचा सार
गुण सांगती शंभर।
चाकरीत बिरबल
सत्ताधारी अकबर।
कॉपी पुरता अभ्यास
चार दिवसाचे सत्र।
ठरविते गुणवत्ता
गुणहीन गुणपत्र।
उन्नतीस खीळ घाली
कॉपी नामक वळंबा।
नाणे पारखावे जसे
राजे शिवाजी नि संभा।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105