मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 31 – बालगीत – फटाके ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है अतिसुन्दर बालगीत “फटाके” । )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 31 ☆ 

 ☆ बालगीत – फटाके

 

हवे कशाला उगा फटाके

ध्वनी प्रदूषण वाढायला।

जीव चिमुकले,  प्राणी पक्षी

वाट मिळेना धावायला ।

 

आनंदाचा सण दिवाळी,

सारे आनंदाने गाऊ या।

मना मनाती ज्योत लावूनी,

आज माणूसकीला जागू या।

 

दीन दुखी नि अनाथ बाळा,

नित हात तयाला देऊ या।

अंधःकारी बुडत्या वाटा,

सहकार्याने उजळू या।

 

रोज धमाके करू नव्याने,

कुजट विचारा उडवू या।

ऐक्याचे भूईनळे लावूनी,

आनंद जगती वाटू या।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105