श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है मात्र विद्यार्थियों के लिए ही नहीं अपितु उनके पालकों के लिए भी आपकी एक अतिसुन्दर कविता “विज्ञानाची ओळख”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 37 ☆
☆ विज्ञानाची ओळख ☆
विज्ञानाच्या ओळखीने
विश्व कल्याण साधुया।
जगण्याचा मंत्र नवा
आज जगाला देऊया।
अंधश्रद्धा सोडूनिया
अभ्यासावे ग्रह , तारे।
प्रयोगाने पडताळू
जुने सिद्धांतही सारे।
चमत्कारी दुनियेचे
वैज्ञानिक गूढ जाणू।
अज्ञानास तिलांजली
तर्कनिष्ठा अंगी बाणू।
भविष्याचा वेध घेण्या
ज्ञान विज्ञान सोबती।
वापरावी सूर्य शक्ती
टाळण्याला अधोगती।
घेऊ गगन भरारी
प्रगतीचे पंख नवे।
हव्यासाने होई ऱ्हास
वास्तवाचे भान हवे।
जुन्या नव्याशी सांगड
परंपरा भारताची।
चंद्र , तारे पूजताना
जिद्द अंगी उड्डाणाची।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105