श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आज प्रस्तुत है आपका एक अत्यंत भावप्रवण कविता ” गुरूने दिला”। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। )
☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 46 ☆
☆ गुरूने दिला ☆
गुरुने दिला हा। ज्ञानरूपी वसा। वाटू घसघसा । सकलांना।।१।।
गुरूने दिधली।ज्ञानाची शिदोरी ।अज्ञान उधारी।संपविण्या।।२।।
करिता प्राशन ।ज्ञानामृत गोड । संस्काराची जोड। लाभे तया।।३।।
गुरू उपदेश। उजळीतो दिशा। पालटेल दशा जीवनाची।।४।।
गुरूविना भासे ।तमोमय सृष्टी । देई दिव्य दृष्टी । गुरू माय।।५।।
गुरू जीवनाचा।असे शिल्पकार । जीवना आकार ।लाभलासे।।६।।
गुरू माऊलीला।करू या वंदन । जीवन चंदन। सुगंधीत।।७।।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105