सुजित शिवाजी कदम

(सुजित शिवाजी कदम जी  की कवितायेँ /आलेख/कथाएँ/लघुकथाएं  अत्यंत मार्मिक एवं भावुक होती हैं. इन सबके कारण हम उन्हें युवा संवेदनशील साहित्यकारों में स्थान देते हैं। उनकी रचनाएँ हमें हमारे सामाजिक परिवेश पर विचार करने हेतु बाध्य करती हैं. मैं श्री सुजितजी की अतिसंवेदनशील  एवं हृदयस्पर्शी रचनाओं का कायल हो गया हूँ. पता नहीं क्यों, उनकी प्रत्येक कवितायें कालजयी होती जा रही हैं, शायद यह श्री सुजित जी की कलम का जादू ही तो है! आज प्रस्तुत है उनकी एक भावप्रवण कविता  “थेंब पावसाचा”। आप प्रत्येक गुरुवार को श्री सुजित कदम जी की रचनाएँ आत्मसात कर सकते हैं। ) 

☆ साप्ताहिक स्तंभ – सुजित साहित्य #51 ☆ 

☆ थेंब पावसाचा ☆ 

 

थेंब पावसाचा       हातात झेलला

नाही होवू  दिला     माती मोल. . . . !

 

थेंब पावसाचा     विसावला कसा

ओलावला पसा    आपोआप. . . . . !

 

थेंब पावसाचा    ओली आठवण

सुखद पेरण       जाता जाता. . . . !

 

थेंब पावसाचा     नाजूकसा मोती

गंधाळली नाती    अंतरात . . . !

 

थेंब पावसाचा     पाहुणा  क्षणाचा

सत्कार तयाचा    डोळ्यातून. . . . !

 

थेंब पावसाचा       देऊनीया ओल

रेंगाळला बोल       कवितेत. . . . . !

 

© सुजित शिवाजी कदम

पुणे, महाराष्ट्र

मो.७२७६२८२६२६

दिनांक  27/3/2019

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Shekhar Palkhe

खुपच छान आणि तरल भावना!!!

Shyam Khaparde

सुंदर रचना