मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कवितेच्या प्रदेशात # 15 – माझ्यानंतर ……. ☆ – सुश्री प्रभा सोनवणे

सुश्री प्रभा सोनवणे

(आज प्रस्तुत है सुश्री प्रभा सोनवणे जी के साप्ताहिक स्तम्भ  “कवितेच्या प्रदेशात” में  उनकी ह्रदय स्पर्शी कविता माझ्यानंतर …….अर्थात मेरे बाद…. .  

मैंने सुश्री प्रभा जी की  पिछली कविता के सन्दर्भ में लिखा था कि वे जानती हैं  – समय गहरे  से गहरे घाव भी भर देता है. हम कल रहें या न रहें यह दुनिया वैसे ही चलती रहेगी और चलती रहती है.   इस कविता में उन्होंने अपने भविष्य की परिकल्पना की है.  उस परिकल्पना को न तो मैं नकारात्मक सोच में परिभाषित कर पा रहा हूँ और न  ही सकारात्मक.   क्योंकि, कल हमारा न होना तो शाश्वत सत्य है.  शायद, सुश्री प्रभा जी नहीं जानती कि उनके प्रकाशक और पाठक उनकी रचनाएँ  उनके मोबाईल / डायरी और जहाँ कही भी रखी हों , उन्हें जरूर ढूंढ लेंगे . आपकी ग़ज़लों को गायिका  आपकी गजलों को स्वर देकर अमर कर देंगी. आपके  परिवार की वो महत्वपूर्ण तथाकथित सदस्या “घुंघराले बालों वाली पोती/नातिन” उन्हें पुनः नवजीवन देने का सामर्थ्य रखेंगी. 

आपका एक एक पल अमूल्य है . आप नहीं जानती जो रचना संसार  रच रही हैं , वह साहित्य नहीं  इतिहास रचा जा रहा  है.  २०१७ की कविता अपने आप में इतिहास है. यात्रा जारी रहनी चाहिए….. . आपकी संवेदनशील कवितायें पाठकों में संवेदनाएं जीवित रखती हैं. 

सुश्री प्रभा जी का साहित्य जैसे -जैसे पढ़ने का अवसर मिल रहा है वैसे-वैसे मैं निःशब्द होता जा रहा हूँ। हृदय के उद्गार इतना सहज लिखने के लिए निश्चित ही सुश्री प्रभा जी के साहित्य की गूढ़ता को समझना आवश्यक है। यह  गूढ़ता एक सहज पहेली सी प्रतीत होती है। आप  प्रत्येक बुधवार को सुश्री प्रभा जी  के उत्कृष्ट साहित्य का साप्ताहिक स्तम्भ  – “कवितेच्या प्रदेशात” पढ़ सकते  हैं।)

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कवितेच्या प्रदेशात # 15 ☆

 

☆ माझ्यानंतर ……☆

 

कोणीच वाचणार नाहीत माझी कवितेची पुस्तके ……

डायरीतली कविता राहील पडून….

एमिली डिकिन्सन च्या

कवितांसारखी कुणी आणणार नाही प्रकाशात !

 

मोबाईल मधेही असतीलच काही कविता  …..

त्यांचा कोणी शोध घेणार नाही ….

 

गायकाने दर्दभ-या

आवाजात गायलेली

माझी गजल ऐकणारही

नाही कोणी …..

 

जिवंतपणी मला नाकारणारे ,

का कवटाळतील मला

मृत्यूनंतर ????

 

कुणी घालू नये हार

माझ्या फोटोला ,

पिंडाला कावळा

शिवतो की नाही

हे ही पाहू नये,

याची तजवीज मी आधीच करून ठेवलेली असेल—

देहदानाने !

 

माझी स्मृतिचिन्हे फोटोंचे अल्बम

धूळ खात पडून राहतील काही दिवस

नंतर नामशेष होतील !

 

संपून जाईल माझे

खसखशी एवढे अस्तित्व  —

 

पण माझ्या नातवाला

होईल कदाचित

एक कुरळ्या केसाची मुलगी —-

 

आणि ती मी च असेन !!

 

© प्रभा सोनवणे,  

“सोनवणे हाऊस”, ३४८ सोमवार पेठ, पंधरा ऑगस्ट चौक, विश्वेश्वर बँकेसमोर, पुणे 411011

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