सुश्री स्वप्ना अमृतकर
(सुप्रसिद्ध युवा कवियित्रि सुश्री स्वप्ना अमृतकर जी का अपना काव्य संसार है । आपकी कई कवितायें विभिन्न मंचों पर पुरस्कृत हो चुकी हैं।  आप कविता की विभिन्न विधाओं में  दक्ष हैं और साथ ही हायकू शैली की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आज प्रस्तुत है पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करती हुई उनकी एक कविता “अटलजी आप ही”। )

अटलजी आप ही ☆ 

शीतल कवि मन के व्यक्ति थे आप
संयम का बल रूप थे आप ।

धीरे धीरे सीढ़ी चढते गये आप 
मुस्कुराकर मुश्किलों को सुलझाते गये आप ।

सरल वाणी से आकर्षित करते गये आप
कठोर निर्णय से हानि को टालते रहे आप ।

 देश का अपमान सह ना सके आप
 दृढ़ निश्चय का प्रण लेते थे आप।

शत प्रतिशत सर्वगुण संपन्न थे आप
हर क्षेत्र मे सफलता का शिखर बने आप ।

सुहाना सफर अकेला मुसाफिर थे आप 
सबके दिलों मे घर कर चांद बन गये आप।

 

© स्वप्ना अमृतकर , पुणे

 

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments