मराठी साहित्य ☆ कविता ☆ श्री गणेश जयंती विशेष – गणराया तू ☆ कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

 

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आज प्रस्तुत है  मराठी गीत श्री गणेश जयंती विशेष – गणराया तू । )

 ☆  श्री गणेश जयंती विशेष – गणराया तू ☆

(भावगीत)

एकदंत तू ,वरद विनायक, वंदन हे स्वीकार

कार्यारंभी करतो पूजन तुझाच जय जय कार .

 

तिलकुंदाचे केले लाडू, गुंफीयेला जास्वंदीचा हार

दुर्वादल ते लक्ष अर्पिले , देवा  आळवीत ओंकार.

 

सहस्त्र रूपे ,तुझी दयाळा ,  सृजनशील दरबार

माघ चतुर्थी ,जन्मोत्सव हा, शोभे निर्गुण निराकार.

 

गाणपत्य तू ,बुद्धी दाता, करीशी चराचरी संचार

कृपा असावी आम्हावरती ,  कर जीवन हे साकार .

 

अक्षर अक्षर दैवी देणे, मूर्त शारदा शब्दाकार

गणराया तू, ईश गुणांचा, देवा कलागुण स्वीकार .

 

तुला पूजिले, देहमंदिरी , देना  जीवनाला आधार

जन्मा आला, जगत नियंता ,देवा शब्दपुष्प स्वीकार .

 

© विजय यशवंत सातपुते

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