मराठी साहित्य ☆ दीपावली विशेष ☆ नर्क चतुर्दशी ☆ – कविराज विजय यशवंत सातपुते

कविराज विजय यशवंत सातपुते

 

(समाज , संस्कृति, साहित्य में  ही नहीं अपितु सोशल मीडिया में गहरी पैठ रखने वाले  कविराज विजय यशवंत सातपुते जी  की  सोशल मीडिया  की  टेगलाइन माणूस वाचतो मी……!!!!” ही काफी है उनके बारे में जानने के लिए। जो साहित्यकार मनुष्य को पढ़ सकता है वह कुछ भी और किसी को भी पढ़ सकने की क्षमता रखता है।आप कई साहित्यिक,  सांस्कृतिक  एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं । 

(इस  दीपावली  के पवन पर्व पर कविराज विजय जी  ने  अष्टाक्षरी विधा में छह विशेष कविताओं की रचना की है।   उनमें से दो कवितायेँ  (1) वसुबारस  (2) धेनू  पूजा” आप पढ़ चुके हैं । आज प्रस्तुत हैं  अन्य दो सामयिक कवितायेँ  (1)  आली धन त्रयोदशी.. . ! (2)  नर्क चतुर्दशी . शेष कवितायेँ  समय समय  पर प्रकाशित करेंगे। कुछ कविताओं के प्रकाशन में विलम्ब के लिए खेद है। आपसे अनुरोध है कि आप इन कविताओं को इस दीपोत्सव पर आत्मसात कर  ह्रदय से स्वीकार करें। दीपोत्सव पर्व पर हृदय से  हार्दिक शुभकामनाओं सहित )

 

☆ दीपावली विशेष – नर्क चतुर्दशी ☆

*अष्टाक्षरी*

वध नरकासुराचा

आली वद्य चतुर्दशी .

पहाटेचे शाही स्नान

मांगलिक चतुर्दशी. . . . . !

 

अपमृत्यू टाळण्याला

करू यमाला तर्पण.

अभ्यंगाने प्रासादिक

करू क्लेष समर्पण. . . . !

 

नारी मुक्ती आख्यायिका

आनंदाची रोजनिशी

फराळाच्या आस्वादाने

सजे नर्क चतुर्दशी. . . . . !

 

एकत्रित मिलनाची

लाभे पर्वणी अवीट

गळाभेट घेऊनीया

जागवूया स्नेहप्रीत.. . . !

 

रोषणाई, फटाक्याने

होई साजरा  उत्सव.

दारी नाचे दीपावली

मनोमनी दीपोत्सव. . . . . !

 

© विजय यशवंत सातपुते

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकार नगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.