रंगमंच स्मृतियाँ – “कफन” – श्री समर सेनगुप्ता
(यह विडम्बना है कि – हम सिनेमा की स्मृतियों को तो बरसों सँजो कर रखते हैं और रंगमंच के रंगकर्म को मंचन के कुछ दिन बाद ही भुला देते हैं। रंगकर्मी अपने प्रयास को आजीवन याद रखते हैं, कुछ दिन तक अखबार की कतरनों में सँजो कर रखते हैं और दर्शक शायद कुछ दिन बाद ही भूल जाते हैं। कुछ ऐसे ही क्षणों को जीवित रखने का एक प्रयास है “रंगमंच स्मृतियाँ “। यदि आपके पास भी ऐसी कुछ स्मृतियाँ हैं तो आप इस मंच पर साझा कर सकते हैं।
इस प्रयास में सहयोग के लिए e-abhivyakti श्री समर सेनगुप्ता जी का आभार व्यक्त करता है। साथ ही भविष्य में सार्थक सहयोग की अपेक्षा करता है – हेमन्त बावनकर)
कफन
यह नाटक मुंशी प्रेमचंद की कालजयी कहानी “कफन” पर आधारित है।
भारतीय समाज का गठन बहुत ही निर्मम ढंग से हुआ है. मेहनत-मशक्कत से आजीविका चलानेवालों को निम्न वर्ग में रखा गया है और दूसरों की मेहनत पर पलनेवालों को उच्च वर्ग में रखा गया है। इस परजीवी वर्ग के ही लोग कालान्तर में समाज नियन्त्रणकर्ता से शोषक में तब्दील हो गये.
प्रस्तुत नाटक में “घीसू” बेगारी खटने से इंकार कर देता है, फलस्वरूप उसे कामचोर कहा जाता है. घीसू का बेटा “माधो” भी अपने बाप की तरह निकम्मा घोषित हो चुका है.
बाप-बेटे दोनों उठाईगिरी, चोरी, कर्जा और भीख मांग कर अपना पेट पालते हैं. माधो की घरवाली उम्मीद से है दर्द से छटपटाते हुये मर जाती है. इधर बेगैरत बाप-बेटा दाह संस्कार के लिये भीख मांगते हैं और भीख के पैसों से गुलछर्रे उड़ातें हैं.
नाटक में थोड़ा बदलाव किया गया है. बेरोज़गारी और बदहाली से तंगहाल “घीसू” समाज के खिलाफ बगावत करता है। वह भले ही शराब के नशे में कहता है “दया-भीक्षा में दुई दिन चलत है, ज़रूरत सबसे बड़ी चीज़, भूख राक्षस है माधो! गलती से कौन की भीख की ठठरी के पीछे दौड़ रहा है. लतियाय दे माधो! लतियाय दे”.
घीसू के चरित्र में श्री अशोक सिॆह ठाकुर का अभिनय अत्यंत सराहनीय रहा है. दर्शकों ने सभी रंगकर्मियों के अभिनय को सराहा. माधो के चरित्र में श्री शुभम पांडे, सरजू के चरित्र में श्री राज, घन्सू के चरित्र में श्री सौरभ, अलगू के चरित्र में श्री ऋत्तिक गौतम, बड़े बाबू के चरित्र में श्री उत्कर्ष यादव एवं गंगाराम के चरित्र में श्री सोम श्रीवास्तव का अभिनय सराहा गया।
प्रकाश एवं नृत्य निर्देशन श्री आशुतोष पांडे, संगीत श्री विक्की तिवारी, मंच सज्जा श्री अनमोल विश्वकर्मा, मंच संचालन श्री शरफ़ वाहाव एवं नाट्य निर्देशन श्री समर सेनगुप्ता द्वारा किया गया.
नाट्य मंचन – मानस भवन, जबलपुर ,म.प्र.
दिनांक – १३/०१/२०१९ समय-सांय ७.३५
© श्री समर सेनगुप्ता
आप इस लिंक पर “विमर्श सांस्कृतिक सामाजिक सेवा समिति” की प्रस्तुति “कफन” के मुख्य अंश देख सकते हैं >>>>>> “कफन”
वाह । आपके कर्म को खूब साधुवाद ?