श्री जय प्रकाश पाण्डेय
(आज स्व. शरद जोशी जी को उनके जन्म दिवस पर e-abhivyakti की ओर से सादर नमन। श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का आभार जिन्होने स्व. शरद जोशी जी के साथ अपने संस्मरण हमारे पाठकों के साथ साझा किया। प्रस्तुत है उनका संक्षिप्त जीवन परिचय एवं श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के अविस्मरणीय क्षण जो उन्होने श्री जोशी जी के साथ व्यतीत किए थे।)
स्व. शरद जोशी जी का जीवन परिचय
जन्म – 21 मई 1931 को मध्य प्रदेश के उज्जैन मध्य प्रदेश में हुआ।
मृत्यु – 60 वर्ष की आयु में 5 सितंबर 1991 को मुंबई में हुआ।
जीवन परिचय – आपने कुछ समय तक सरकारी नौकरी की फिर लेखन को आजीविका के रूप में अपना लिया।
साहित्य सृजन – आरम्भ में कुछ कहानियाँ लिखीं, फिर पूरी तरह व्यंग्य-लेखन ही करने लगे। इसके अतिरिक्त आपने व्यंग्य लेख, व्यंग्य उपन्यास, व्यंग्य के स्थायी स्तम्भ के अतिरिक्त हास्य-व्यंग्यपूर्ण धारावाहिकों की पटकथाएँ और संवाद भी लिखे।आपकी रचनाओं में समाज में पाई जाने वाली सभी विसंगतियों का बेबाक चित्रण मिलता है।
साहित्य – गद्य रचनाएँ परिक्रमा, किसी बहाने, जीप पर सवार इल्लियाँ, रहा किनारे बैठ, दूसरी सतह, प्रतिदिन(3 खण्ड), यथासंभव, यथासमय, यत्र-तत्र-सर्वत्र, नावक के तीर, मुद्रिका रहस्य, हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे, झरता नीम शाश्वत थीम, जादू की सरकार, पिछले दिनों, राग भोपाली, नदी में खड़ा कवि, घाव करे गंभीर, मेरी श्रेष्ठ व्यंग रचनाएँ।
व्यंग्य नाटक – अंधों का हाथी, एक था गधा उर्फ अलादाद खाँ
उपन्यास – मैं, मैं और केवल मैं उर्फ़ कमलमुख बी0ए0
टीवी धारावाहिक – यह जो है जिंदगी, मालगुड़ी डेज, विक्रम और बेताल, सिंहासन बत्तीसी, वाह जनाब, दाने अनार के, यह दुनिया गज़ब की, लापतागंज आदि।
फिल्मी सम्वाद लेखन – क्षितिज, गोधूलि, उत्सव, उड़ान, चोरनी, साँच को आँच नहीं, दिल है कि मानता नहीं।
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☆ आदरणीय शरद जोशी के जन्मदिन पर ☆
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बहुत पहले आदरणीय शरद जोशी जी “रचना” संस्था के आयोजन में परसाई की नगरी जबलपुर में मुख्य अतिथि बनकर आए थे,हम उन दिनों “रचना ” के संयोजक के रूप में सहयोग करते थे।
“रचना “साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक संस्था का मान था उन दिनों। हर रंगपंचमी पर राष्ट्रीय स्तर के हास्य व्यंग्य के ख्यातिलब्ध हस्ताक्षर आमंत्रित किए जाते थे। हम लोगों ने आदरणीय शरद जोशी जी को रसल चौक स्थित उत्सव होटल में रूकवाया था, “व्यंग्य की दशा और दिशा” विषय पर केंद्रित इस कार्यक्रम के वे मुख्य अतिथि थे।
व्यंग्य विधा के इस आयोजन के प्रथम सत्र में ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी की रचनाओं पर आधारित रेखाचित्रों की प्रदर्शनी का उदघाटन करते हुए जोशी जी ने कहा था- “मैं भाग्यवान हूं कि परसाई के शहर में परसाई की रचनाओं पर आधारित रेखाचित्र प्रदर्शनी के उदघाटन का सुअवसर मिला.”
फिर उन्होंने परसाई की सभी रचनाओं को घूम घूम कर पढ़ा हंसते रहे और हंसाते रहे। ख्यातिलब्ध चित्रकार श्री अवधेश बाजपेयी की पीठ ठोंकी, खूब तारीफ की। व्यंग्य विधा की बारीकियों पर उभरते लेखकों से लंबी बातचीत की।
शाम को जब होटल के कमरे में वापस लौटे फिर दिल्ली के अखबार के लिए ‘प्रतिदिन’ कालम लिखा, हमें डाक से भेजने के लिए दिया। साहित्यकारों के साथ थोड़ी देर चर्चा की, फिर टीवी देखते देखते सो गए ।
आज उनका जन्मदिन है, वे याद आ गए…..
सादर नमन।
© जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर