सूचनाएँ/ Information
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
☆ आपकी अब तक की रिश्तों / संबंधों पर आधारित सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ आमंत्रित ☆
यह कोई प्रतियोगिता नहीं है। हम आपकी मनोभावनाओं को प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने के लिए एक एक मंच प्रदान कर रहे हैं।
सम्माननीय लेखक गण / प्रबुद्ध पाठक गण,
ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं, जो हमें पृथ्वी के किसी भी कोने में बसे जाने अनजाने लोगों से आपस में अदृश्य सूत्रों से जोड़ देते हैं। अब मेरा और आपका ही रिश्ता ले लीजिये। आप में से कई लोगों से न तो मैं व्यक्तिगत रूप से मिला हूँ और न ही आप मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिले हैं किन्तु, स्नेह का एक बंधन है जो हमें बांधे रखता है। आप में से कई मेरे अनुज/अनुजा, अग्रज/अग्रजा, मित्र, परम आदरणीय /आदरणीया, गुरुवर और मातृ पितृ सदृश्य तक बन गए हैं। ये अदृश्य सम्बन्ध मुझमें ऊर्जा का संचार करते हैं। मेरा सदैव प्रयास रहता है और ईश्वर से कामना करता हूँ कि मैं अपने इन सम्बन्धों को आजीवन निभाऊं। और आपसे भी अपेक्षा रखता हूँ कि मेरे प्रति यह स्नेह ऐसा ही बना रहेगा।
मेरा और आपका सम्बन्ध मात्र रचनाओं के आदान प्रदान तक ही सीमित नहीं है, इस सम्बन्ध में हमारी संवेदनाएं भी जुडी हुई हैं। संभवतः संवेदनहीन सम्बन्ध कभी सार्थक नहीं होते।
मैंने ऊपर जिन संबंधों की चर्चा की है उनमें रक्त संबंधों के अतिरिक्त भी ऐसे कई सम्बन्ध हैं जिन पर अति सुन्दर साहित्य रचा गया है। मेरा मानना है कि कोई भी साहित्य जो आज तक रचा गया है उसका आधार कोई सम्बन्ध या रिश्ता न हो ऐसा शायद ही संभव हो । कई सम्बन्ध ऐसे होते हैं जिनके बारे में हम भावनात्मक रूप से लिख देते हैं किन्तु, वे सम्बन्ध परिपेक्ष्य में रहते हैं ।
ई-अभिव्यक्ति साहित्य में सकारात्मक नए प्रयोग करने के लिए कटिबद्ध है। मेरे उपरोक्त विचारों से आप निश्चित रूप से सहमत होंगे। इस पूरी प्रक्रिया में मन में एक विचार आया कि क्यों न आपसे रिश्तों या संबंधों पर आधारित रचनाएँ आमंत्रित की जाएँ और अपने प्रबुद्ध पाठकों से एक नवीन रूप से साझा की जाएँ।
वैसे तो पारिवारिक रिश्तों की एक लम्बी फेहरिश्त है जिनमें प्रपौत्र-प्रपौत्री से लेकर परनाना-परनानी, परदादा-परदादी तक जिनसे हम प्रतिदिन रूबरू होते रहते हैं । वैसे ही सामाजिक संबंधों की भी असीमित लम्बी फेहरिश्त है। कुछ सम्बन्ध और रिश्ते जो इस समय मेरे मस्तिष्क में आ रहे हैं आपसे उदाहरणार्थ साझा करने का प्रयास करता हूँ। इससे परे भी आपके मस्तिष्क में कई सम्बन्धो होंगे जो हम साझा करना चाहेंगे ।
पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका, मित्र, पड़ौसी तो सामान्य हैं ही। आज जब इंसानियत तार तार हो रही है ऐसे में मानवीय सम्बन्ध, हमारा राष्ट्र से सम्बन्ध, प्रकृति एवं पर्यावरण से सम्बन्ध, पालतू एवं अन्य जानवरों से सम्बन्ध, थर्ड जेंडर जो कभी कभार हमसे रूबरू होते हैं उनसे सम्बन्ध, समाज में बमुश्किल स्वीकार्य रिश्ते (लिव-इन रिलेशनशिप, समलैंगिक) और ऐसे बहुत सारे सम्बन्ध और रिश्ते जो आपके विचारों में आ रहे हैं और मेरे विचारों में नहीं आ पा रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह कि कोई भी और कैसा भी सम्बन्ध या रिश्ता न छूटने पाये।
तो फिर देर किस बात की कलम / कम्प्यूटर कीबोर्ड पर शुरू हो जाइये और भेज दीजिये किसी भी संबंध / रिश्ते पर आधारित अपनी अब तक की सर्वोत्कृष्ट हिंदी/मराठी /अंग्रेजी भाषा में अधिकतम दो रचनाएँ (कविता /लघुकथा /आलेख / संस्मरण / लघुनाटिका / कलात्मक चित्र / आपके द्वारा खिंचा गया फोटोग्राफ ) अधिकतम 750-1000 शब्दों में निम्न ईमेल आई डी पर
समय सीमा – जितनी जल्दी हम आपके कार्य को सर्वोत्कृष्ट आकार दे सकें।
आयु सीमा – मनोभावनाओं की कोई आयु सीमा नहीं होती।
आपकी अनुमति / रचनाओं की मौलिकता – ई-अभिव्यक्ति को किसी भी रूप में प्रकाशित करने की स्वतंत्रता की आपकी अनुमति के साथ रचना पर कॉपीराइट आपका। रचनाएँ / कलाकृतियां मौलिक एवं आपकी स्वरचित /स्वयं की होनी चाहिए।
हाँ रचना प्रेषित करते समय ई-अभिव्यक्ति के मूलमंत्र जो डॉ राजकुमार “सुमित्र” जी के आशीर्वचन में व्याप्त है का अवश्य ध्यान रखें।
सन्दर्भ : अभिव्यक्ति
संकेतों के सेतु पर, साधे काम तुरन्त ।
दीर्घवायी हो जयी हो, कर्मठ प्रिय हेमन्त ।।
काम तुम्हारा कठिन है, बहुत कठिन अभिव्यक्ति।
बंद तिजोरी सा यहाँ, दिखता है हर व्यक्ति ।।
मनोवृत्ति हो निर्मला, प्रकट निर्मल भाव।
यदि शब्दों का असंयम, हो विपरीत प्रभाव।।
सजग नागरिक की तरह, जाहिर हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित, बड़ा न कोई व्यक्ति ।।
– डॉ राजकुमार “सुमित्र”
हमारे आमंत्रण पर रिश्तों से सम्बंधित अतिसुन्दर संवेदनशील रचनाएँ हमारे पास आई हैं और सतत आ रही हैं, जिनका संकलन का कार्य भी चल रहा है। उन रचनाओं को अतिसुन्दर स्वरुप में प्रस्तुत करने का प्रयास जारी है।
हाँ, अपने मित्र लेखकों / प्रबुद्ध पाठकों से इस जानकारी को अवश्य साझा कर इस अनुष्ठान में सहयोग करें।
आपकी अब तक की सर्वोत्कृष्ट रचनाओं की प्रतीक्षा में।
हेमन्त बावनकर, पुणे
Priy Hemant ji,
Mera celphone pattha per gir kar nasht ho gaya hai main ek purane set se kam chala raha hun,jab tak naye set ki vyavastha hoti hai kripaya apke pas sanrakshit Abhinav giton se kamchalate huye mera stambh nirantar rakhen, main sheeghr hi niyamit hone ka prayatn kar raha hun , dhanyavad !