☆ सूचनाएँ/Information ☆
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
🙏🏻 राजुरकर राज – विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻
भोपाल। कल 15 फरवरी को मध्यप्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार और दुष्यंत कुमार संग्रहालय (भोपाल ) के निदेशक राजुरकर राज जी का दुखद निधन हो गया। राजुरकर राज जी ने 25 वर्ष पूर्व हिन्दी के अप्रतिम कवि और कथाकार दुष्यंत कुमार की स्मृतियों को सँजोये रखने का कार्य प्रारम्भ किया एवं आजीवन आजीवन मूर्त रूप देने में सतत लगे रहे। उनका दुखद निधन साहित्य जगत की अपूर्व क्षति है।
🙏🏻 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻
☆ राजुरकर राज ☆
ना पकड़ा हाथ ना ही दामन छू सका कोई,
करीब से उठकर अचानक चला गया कोई।
☆
जाना सभी को एक न एक दिन जहाँ से,
वक्त-ए-रुख़सत दिल में समा गया कोई।
☆
जाने का ग़म रहेगा हमें नफ़स दर नफ़स,
वो जो देखते-देखते नज़र फिरा गया कोई।
☆
हँस-हँस के बतियाता था मोहक अन्दाज़ में,
मुसकाते-मुसकाते ही दिल लुभा गया कोई।
☆
आरज़ू है उसकी यादों में ज़िंदगी बसर हो,
वो जो बातों-बातों में अब्र सजा गया कोई।
☆
जब महफ़िल में ज़िक्र होगा उस हबीब का,
‘आतिश’ के सामने अश्क़ बहा गया कोई।
☆
– सुरेश पटवा “आतिश”
वरिष्ठ साहित्यकार, भोपाल मध्यप्रदेश
☆☆☆☆☆
🙏🏻 विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🏻
दुष्यन्तकुमार स्मृति संग्रहालय के संस्थापक संचालक, शब्दशिल्पियों के आसपास पत्रिका के संपादक, आकाशवाणी भोपाल के पूर्व उद्घोषक तथा “शब्द-साधक” कृति (1500साहित्यकारों की विवरणिका) के संपादक राजुरकर राज जी का असमय निधन साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है।
अत्यन्त मिलनसार, हँसमुख,कर्तव्यदक्ष,अहंशून्य तथा समदर्शी व्यक्तित्व के धनी राज जी अपने पीछे हार्दिक स्मृतियां छोड़ गये हैं। सारा साहित्यिक समाज शोक विह्वल है।
कहते हैं बेहद ख्यातनाम शिखरस्थ और प्रचंड बुद्धिमान होने से भी अधिक श्रेयस्कर है मानवीय गुणों से परिपूर्ण होना। सुख दुःख में साथ निभाना। इस दृष्टि से राज जी विलक्षण थे।
उन्हें नवोदित प्रवाह परिवार अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे। हरिॐ।
– इंदिरा किसलय, नागपुर
☆☆☆☆☆
☆ राजुरकर राज निदेशक दुष्यंत संग्रहालय का जाना… मेरी व्यक्तिगत क्षति, गहन शोक ☆
वे सारे जीवन साहित्यकारों को परस्पर जोड़ने में निरत रहे।
१९९४ तार सप्तक अर्ध शती समारोह, भवभूति कक्ष साहित्य अकादमी, मेरी किताब आक्रोश का विमोचन था। तब उनसे पहली भेंट हुई थी, वे “हस्ताक्षर” परिचय पुस्तिका हेतु उपस्थित लोगों से पते, बायो एकत्रित कर रहे थे। मैं तब मंडला में था, फिर हम सतत संपर्कों में बने रहे। भोपाल शिफ्ट होने पर लगा कोई है यहां अपना पुराना।
विवेक रंजन श्रीवास्तव
वरिष्ठ समीक्षक तथा व्यंग्यकार
≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈