☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है । देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ सांस्कृतिक साहित्यिक शहर जालंधर की बात – कमलेश भारतीय

इस बार पंजाब के सांस्कृतिक व साहित्यिक शहर जालंधर की बात करने को मन उमड़ आया है। वैसे मेरी साहित्यिक यात्रा भी यहीं से शुरू हुई। यहां सभी भाषाओं के समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं -हिंदी, पंजाबी और उर्दू। आकाशवाणी केंद्र और दूरदर्शन केंद्र भी यहां हैं। बताया गया कि कभी आकाशवाणी केंद्र के निदेशक प्रसिद्ध फिल्मकार राजेंद्र सिंह बेदी भी यहां रहे।  यहीं रहे रामानंद सागर जिन्होंने दूरदर्शन को रामायण देकर कोरोना काल में भी झंडे गाड़ दिये। हफीज जालंधरी जैसे शायर जिन्होंने बाद में पाकिस्तान का कौमी तराना लिखा और दीपक जालंधरी जो व्यंग्यकार रहे। वैसे शुरूआत में उपेंद्रनाथ अश्क यहां से खूब चर्चित रहे। फिर इलाहाबाद बस गये। इनके बेटे नीलाभ ने भी कविता में और बीबीसी में नाम कमाया। इसी तरह रवींद्र कालिया भी जालंधर से इलाहाबाद बसे और जालंधर का नाम खूब रोशन किया। गालिब छुटी शराब संस्मरणात्मक किताब और अनेक कहानियां चर्चित हैं। इनकी पत्नी ममता कालिया भी आज देश की वरिष्ठतम रचनाकार हैं। मोहन राकेश ने भी जालंधर के डी ए वी काॅलेज में प्रोफैसरी की और रवींद्र कालिया कहते हैं कि क्लास काॅफी हाउस में लगती थी! मोहन राकेश के ठहाके आज भी जालंधर में कहीं गूंजते सुनाई देते होंगे! अफसोस कभी डी ए वी काॅलेज ने इनकी स्मृति में कोई कार्यक्रम नहीं रखा होगा।

अभी जालंधर इसलिये याद आया कि हिंदी लेखक संघ ने रविवार को दिलजीत दिव्यांशु के कविता संग्रह पर विरसा विहार में कार्यक्रम रखा। इसमें जयप्रकाश और राकेश प्रेम ने दिलजीत की कविताओं पर आलेख प्रस्तुत किये। बाद में काव्य गोष्ठी भी हुई जिसमें डाॅ सरला भारद्वाज, डाॅ कैलाश भारद्वाज, डाॅ तरसेम गुजराल और अन्य अनेक कवियों ने काव्य पाठ किया।

जालंधर में कभी विचारधारा संस्था सक्रिय थी जिसमें मैं नवांशहर से भाग लेने आता था। जनवादी लेखक संघ की इकाई रही जिसे डाॅ रमेश कुंतल मेघ और डाॅ रीटा बाबा ने चलाया। यहां भी मैं कार्यकारिणी में रहा और जालंधर आना जाना रहा।

आजकल वरिष्ठ लेखक सिमर सदोष  पंकस अकादमी चला रहे हैं और हर वर्ष अकादमी अवाॅर्ड देते चले आ रहे हैं। ऐसा करते करते छब्बीस साल हो गये सिमर को! स्मारिका भी प्रकाशित करते हैं। इनके जज्बे को सलाम! इसी तरह यहां गीता डोगरा त्रिवेणी साहित्य अकादमी संस्था चला रही हैं और इनके कार्यक्रम भी आयोजित होते रहते हैं। कभी हिमाचल भी ले जाती है त्रिवेणी को! अनेक संकलन संपादित किये हैं। मोहन सपरा यहां से आस्था प्रकाशन चला रहे हैं जो संभवतः दीपक पब्लिकेशन के बाद दूसरा प्रकाशन है पंजाब में! सबसे बड़ी बात यहां प्रेस क्लब है जिसमें आमतौर पर साहित्यिक आयोजन होते रहते हैं। हमारे मित्र सतनाम माणक और लखविंद्र जौहर जैसे इसके अध्यक्ष रहते है। डाॅ कृष्ण कुमार रत्तू दूरदर्शन जालंधर में रहे। पुनीत सहगल जो पहले रंगकर्मी रहे और बाद में आकाशवाणी, दूरदर्शन में! रमेश बत्तरा का जन्म जालंधर में हुआ और उसके लेखन को आधार दिया जालंधर में सिमर सदोष ने! अंतिम दिन भी बिताये जालंधर में!   जालंधर में डाॅ अजय शर्मा और डाॅ तरसेम गुजराल उपन्यास क्षेत्र में चर्चित नाम हैं और उपन्यास लेखन की परंपरा का अच्छी तरह निर्वाह कर रहे हैं। बहुत याद आते हो जालंधर क्योंकि पुराने नाता है कोई, यूं ही नहीं दिल लुभाता कोई!

पुस्तक मेला शुरू : दिल्ली का पुस्तक मेला शुरू हो गया और देश भर से रचनाकार अपनी अपनी पुस्तकों के विमोचन के लिये पहुंचने शुरू हो गये हैं। यह बहुत खुशी और उल्लास का अवसर है हर लेखक के लिये। बस। पुस्तक खरीदने की संस्कृति भी फैलनी चाहिए!

राजुरकर राजू नहीं रहे : दुष्यंत संग्रहालय के लिए चर्चित राजुरकर राजू नहीं रहे। दुष्यंत संग्रहालय को एक छोटे से कमरे से शुरू कर देश भर में चर्चित करने में भूमिका निभाने वाले राजुरकर राजू को नमन्!

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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