☆ सूचनाएँ/Information ☆
(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ राजकीय पत्रिकाओं का योगदान कितना ? ☆
देश भर में राजकीय साहित्यिक पत्रिकाओं का प्रकाशन लम्बे समय से हो रहा है। हरियाणा साहित्य अकादमी की हरिगंधा, हिमाचल से हिमप्रस्थ और गिरिराज साप्ताहिक, जम्मू कश्मीर से शिराजा, उत्तर प्रदेश सरकार की उत्तरप्रदेश, राजस्थान साहित्य अकादमी की मधुमति, दिल्ली से इंद्रप्रस्थ भारती, साहित्य अकादमी की समकालीन भारतीय साहित्य, पंजाब के भाषा विभाग से पंजाब सौरभ आदि पत्रिकायें मेरे ध्यान में हैं। इनके अतिरिक्त भी हो सकती हैं। इन पत्रिकाओं में हिमप्रस्थ और शीराजा ने तो विशेषांक भी दिये हैं और हरिगंधा भी महिला विशेषांक नियमित हर वर्ष मार्च माह में प्रकाशित करता है। समकालीन भारतीय साहित्य का तो हर अंक ही विशेषांक के समान होता है। इसी प्रकार केंद्र सरकार की ओर से आजकल भी एक चर्चित पत्रिका है। इसके बावजूद अनेक राजकीय पत्रिकायें लेखकों को दिये जाने वाले पारिश्रमिक से ही वार्षिक शुल्क काटने की पेशकश करती हैं और इस तरह इनकी सर्कुलेशन चलती रहती है जिसे अधिकांश लेखक पसंद तो नहीं करते लेकिन कुछ कह भी नहीं सकते ! क्या इस पर पुनर्विचार की आवश्यकता नहीं ? इन पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार पर अलग से योजना बनाई जानी चाहिए। यह मेरा विचार है। यह मेरा अनुभव भी है जिन दिनों हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में जिम्मेवारी मिली और कथा समय मासिक पत्रिका प्रकाशित की। तब इस परंपरा से कुछेक लेखकों ने जब इस तरह शुल्क काटने पर विरोध किया एक लेखक होने के नाते तब मुझे इसकी गंभीरता पता चली। दूसरे इन पत्रिकाओं का निरंतर चर्चा होना चाहिए। बुक स्टाॅल्ज पर रखी जानी चाहिएं। कुछ पत्रिकायें उपलब्ध हैं और बिक्री भी होती है। फिर भी और प्रयास किये जाने चाहिएं।
हिसार में चुपके चुपके महकी गजल : पाठक मंच की ओर से गीत गजल का कार्यक्रम करवाया गया जिसमें गजल महकी और वह भी चुपके चुपके ! प्रसिद्ध गजल गायक व हिसार के ही मूल निवासी सुशील चावला, राजेश राजपाल व ईशा खन्ना ने अपनी अपनी प्रस्तुतियां देकर समां बांध दिया जबकि ये रिश्ता क्या कहलाता है, दिल दियां गल्लां, सास बिना ससुराल जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों की लेखिका मुनीष राजपाल ने अपनी लेखन कला व रंगमंच के सफर की शानदार जानकारी दी। सुशील चावला और मुनीष व राजेश राजपाल संयोगवश शहर में थे और उन्हें पाठक मंच ने आमंत्रित कर लिया। कार्यक्रम की मुख्यातिथि प्रसिद्ध समाज सेविका पंकज संधीर थीं और उन्होंने कहा कि इस छोटे से कार्यक्रम ने मुझे बहुत ताजगी प्रदान की है और उन्हें यह भी खुशी है कि हिसार के कलाकार मुम्बई में अपनी पहचान ही नहीं बना रहे बल्कि मजबूती से कदम जमा रहे हैं। यह भी खुशी की बात है कि सीनियर माॅडल स्कूल के दो छात्र सुशील चावला और राजेश राजपाल ने कला क्षेत्र में कितना सफर तय कर लिया है। इनके प्रोजेक्ट में भी सहयोग देने का विश्वास दिलाया।
सुशील चावला ने चुपके चुपके रात दिन, मांयें नी मेरिये, चम्बा कितनी कू दूर, मैंनू तेरा शबाब लै बैठा, चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला आदि विभिन्न रंग के गीत व गजल आदि सुनाये और वाह-वाह लूटी। इसी प्रकार डाॅ ईशा खन्ना ने उमराव जान की लोकप्रिय गजल -इन आखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं और आज जाने की जिद्द न करो जैसे बहुत कर्णप्रिय गीत/गजल प्रस्तुत किये। इसी प्रकार राजेश राजपाल ने आने वाला पल जाने वाला है गाकर सबको आनंदित कर दिया। राजेश राजपाल मुम्बई में फिल्म महोत्सव सीरियल निर्देशक हैं। इस अवसर पर अमरनाथ प्रसाद, पूनम चावला, राकेश मलिक, रश्मि, नीलम सुंडा, गीतकार सतीश कौशिक, नीलम भारती आदि मौजूद थे।
शुभतारिका के दो विशेषांक : हरियाणा के अम्बाला छावनी से पिछले पचास वर्ष से प्रकाशित हो रही मासिक पत्रिका शुभतारिका ने दो विशेषांकों की घोषणा की है – व्यंग्य विशेषांक और लघुकथा विशेषांक। सबसे दिलचस्प बात यह है कि संभवतः अकेली शुभतारिका ऐसी पत्रिका है जिसकी ओर से छठवाँ लघुकथा विशेषांक प्रकाशित किये जाने की घोषणा की गयी है। यह बहुत ही सराहनीय है।
विजय को सम्मान : दिल्ली के रंगकर्मी विजय को पुणे की संस्था ने रंगकर्म के क्षेत्र में किये गये योगदान के लिये सम्मानित किया है। बधाई।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈