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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सुश्री विनीता सिन्हा की पुस्तक ‘प्रेरणादीप : वर्तमान और अतीत’ लोकार्पित – साभार – क्षितिज ब्यूरो ☆

मुंबई, सुश्री विनीता सिन्हा जी की पुस्तक ‘प्रेरणादीप : वर्तमान और अतीत’ का विमोचन मुंबई प्रेस क्लब के सभागृह में शनिवार 22 मार्च को सम्पन्न हुआ। यह पुस्तक क्षितिज प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुई है।

इस अवसर पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सूर्यबाला जी ने कहा कि – “कृति को और रचनाकार को अपने दम पर खड़ा होना चाहिए न कि पुरस्कार के दम पर। लेखक के पास अपनी आत्मा होनी चाहिए जिसमें वह झांक कर स्वयं को देख सके। आज का पुस्तक विमोचन समारोह एक पवित्र अनुष्ठान है। अपने आसपास की ऊँचाइयों को प्रेरणादीप के रूप में प्रस्तुत करने वाली लेखिका विनीता सिन्हा मेरे लिए ख़ुद एक प्रेरणादीप हैं। आज के समय में जब लेखन हृदय से नहीं केवल विचार से किया जाता हो, यह पुस्तक हृदय से लिखी गई है।हमारी आज की पीढ़ी को ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है।”

हिंदी आंदोलन परिवार के अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज जी ने कहा कि – “किसी सफल व्यक्ति से उसकी सफलता का राज़ पूछिए तो वह सामान्यत: कहता है कि फलां पुस्तक का प्रभाव उस पर पड़ा या बचपन में फलां लेखक की एक पंक्ति ने उसका जीवन बदल डाला। यह कथन, लेखन और पुस्तक के महत्व को प्रतिपादित करता है। तथापि जब दुनिया के सबसे प्रभावी 100 व्यक्तियों की सूची बनाई जाती है तो उसमें राजनेता, उद्योगपति, सिने कलाकार, खिलाड़ी तो होते हैं पर कभी लेखक नहीं होता। ‘प्रेरणादीप’ एक ऐसी पुस्तक है जिसमें लेखिका ने जिन व्यक्तित्वों का उल्लेख किया है, वे सभी लेखक हैं।” सुश्री विनीता सिन्हा जी को जिजीविषा का साकार रूप बताते हुए उन्होंने लेखिका के आत्मविश्वास की प्रशंसा की।

वरिष्ठ लेखक, अनुवादक श्री रमेश यादव जी ने पुस्तक की विस्तृत विवेचना की‌। उन्होंने लेखिका द्वारा उल्लिखित हर प्रेरणादीप के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की। लेखिका द्वारा वर्णित स्व. चित्तरंजन दास बक्शी की जीवनगाथा के अनेक आयामों और तत्संबंधी घटनाओं पर प्रकाश डाला। स्व. चंद्रकांत खोत से सम्बंधित कुछ प्रसंगों को भी उन्होंने याद किया। उन्होंने लेखिका द्वारा अपने माता-पिता पर लिखी कविताओं का पाठ भी किया।

प्राध्यापिका डॉ. मेघा पवार ने पुस्तक के साहित्यिक शिल्प की चर्चा की। श्रीमति सुधा भारद्वाज जी ने प्रकाशक का मत रखते हुए लेखिका के व्यक्तित्व के विभिन्न शक्ति बिंदुओं का उल्लेख किया। श्री नवीन सिन्हा जी ने लेखिका की साहित्यिक यात्रा की जानकारी दी।

अपनी बात रखते हुए लेखिका सुश्री विनीता सिन्हा जी ने कहा कि- “बहुत लंबे वक़्त से मन में एक बात आती रहती थी कि हमारी पीढ़ी नें पुराना वक़्त भी देखा और अब नई शताब्दी की दिनों-दिन हासिल होती उपलब्धियों को भी देख रही है। हमारे बाद जो आने वाली पीढ़ियाँ होंगी, उनके लिए तो हमारे कल और आज, दोनों ही की बातें इतिहास होंगी। जो आज वर्तमान है, वही तो कल इतिहास होगा। अतः महसूस होता है कि उनके लिए धरोहर के रूप में कुछ ऐसी हस्तियों के कुछ ऐसे कारनामे बयान किए जाएँ जो उनकी ज़िन्दगी के सफ़र में पाथेय की भूमिका निभाएँ और उसे संवारने में उनकी मदद कर सके। यह पुस्तक उसी अतीत और वर्तमान के कुछ पन्नों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोने का एक प्रयास मात्र है।”

वेरा सिन्हा जी ने कार्यक्रम का सटीक संचालन किया। वरिष्ठ लेखिका सुश्री वीनु जमुआर जी ने आभार प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में मुंबई -पुणे के लेखक, पत्रकार, विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य, लेखिका के परिजन तथा परिचित उल्लेखनीय संख्या में उपस्थित थे।

साभार : क्षितिज ब्यूरो 

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≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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