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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह  सम्पन्न

जब राजनीति लड़खड़ाती है, साहित्य उसे सहारा देता है – डॉ. राजेंद्र श्रीवास्तव

“हिंदी आंदोलन परिवार की 29 वर्ष की यात्रा गौरवशाली है। हिंआंप के आरम्भ से मैं इससे जुड़ा हूँ। इस संस्था से बहुत कुछ सीखने के लिए मिला है। पं. जवाहरलाल नेहरु और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर साथ खड़े थे। अचानक नेहरु जी लड़खड़ा गए। उन्हें थामते हुए दिनकर जी ने कहा कि जब-जब राजनीति लड़खड़ाती है, तब-तब साहित्य उसे सहारा देता है। साहित्य, धर्म, जाति व भौगौलिक सीमाओं से परे होता है।  हिंआंप इसी सार्वभौम साहित्य का साकार रूप है।”

उपरोक्त उद्गार बैंक ऑफ महाराष्ट्र के राजभाषा प्रमुख डा. राजेन्द्र श्रीवास्तव के हैं। हिंदी आंदोलन परिवार के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएनडीटी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकांत मिसाल ने उनत्तीस वर्षों से गतिशील हिंआंप की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने संस्था की अखंड सक्रियता का संदर्भ देते हुए  ग़ज़ल के कुछ शेर सुनाए। आपने कहा कि हिंआंप का हर छोटा-बड़ा आयोजन जीवन में एक प्रेरक पाठ पढ़ने का अवसर होता है। संस्था के घोष-शब्द और घोषगीत में निहित विशद अर्थ की भी आपने चर्चा की।

हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज ने कहा कि हिआंप की 29 वर्ष की यात्रा में ध्येयनिष्ठा, अविराम श्रम, अनुशासन और समर्पित कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान है। मासिक साहित्यिक गोष्ठियाँ संस्था की प्राणवायु हैं। विशेष बात यह कि जो ऊर्जा और आत्मविश्वास 29 वर्ष पूर्व था, वह अब भी बना हुआ है। हिंआंप अब तक 296 गोष्ठियाँ कर चुका है।  ‘उबूंटू’ अर्थात हम हैं इसलिए मैं हूँ का चैतन्य प्रतीक है हिआंप। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है।

हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में चार दशक से हिन्दी के अध्यापन एवं प्रचार में जुटी प्रा. नीला बोर्वणकर को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री आशु गुप्ता और बहुभाषी संचालन के सुप्रसिद्ध संचालिका श्रीमती नीरजा आपटे को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया। श्री संजय भारद्वाज को हाल ही में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता जीवन गौरव सम्मान मिला है। इस उपलक्ष्य में हिंदी आंदोलन परिवार के सदस्यों के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती वीनु जमुआर ने उन्हें सम्मानित किया।

सरस्वती वंदना से अपना वक्तव्य आरम्भ करते हुए डॉ. बोर्वणकर ने जीवन को मिली सार्थक दिशा का श्रेय उच्च स्तर पर हिंदी के अध्ययन को दिया। हिंदी का अध्ययन मातृभाषा के प्रति आपकी नींव को और दृढ़ करता है। विशेषकर भक्तिकाल के रचनाकारों से अनन्य जीवनमूल्यों की प्राप्ति का आपने उल्लेख किया। स्रोत-भाषा मराठी से लक्ष्य-भाषा हिंदी में अनुवाद कर्म में विशेष सहयोग करनेवाले संजय भारद्वाज को उन्होंने अपना गुरु कहा।

नीरजा आपटे ने कहा कि उन्हें बोलना बहुत पसंद है। सौभाग्य है कि बोलना अर्थात मंच संचालन ही उनका कार्यक्षेत्र बना। प्रतिभा तो ईश्वर प्रदत्त होती है पर अभ्यास से उसे निखारना मनुष्य का काम होता है। विविध क्षेत्र के दिग्गजों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम का संचालन कर पाने के लिए उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया।

आशु गुप्ता जीवन के विभिन्न पड़ावों पर लेखन के बदलते रूप की चर्चा की। कुछ पा सकने के लिए गुरु के आशीर्वाद का उल्लेख किया। उन्होंने कविताओं के अंश भी प्रस्तुत किए।

अतिथियों का परिचय सुधा भारद्वाज, अपर्णा कडसकर और अरविंद तिवारी ने दिया।

कार्यक्रम के पूर्वार्द्ध में क्षितिज इंफोटेनमेंट द्वारा  कबीर-दर्शन पर आधारित संगीतमय कार्यक्रम ‘बहता समीर, गाता कबीर’  प्रस्तुत किया गया।  इसका लेखन- संचालन संजय भारद्वाज ने किया। गायन सतीश कुमार का था। इस प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

हिंदी उत्सव का सटीक संचालन ऋता सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन अलका अग्रवाल ने किया। सुशील तिवारी एवं सभी विशेष सहयोगियों को स्मृतिचिह्न एवं नारियल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार, भाषा प्रेमी और अन्य गणमान्य  उपस्थित थे।  प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।

 – साभार  – क्षितिज ब्यूरो

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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