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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
डॉ ऋचा शर्मा को विक्रम सोनी लघुकथा कृति सम्मान – अभिनंदन ☆
लघुकथा शोध केंद भोपाल का अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन व वार्षिक अलंकरण समारोह सम्पन्न
जो साहित्य पकता है वही साहित्य पचता है – डॉ. देवेंद्र दीपक
भोपाल 19 जून। देश के जाने माने साहित्यकार स्व. श्री माधवराव सप्रे के जन्मदिवस पर प्रतिवर्षानुसार “लघुकथा शोध केंद्र” भोपाल द्वारा अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. देवेंद्र दीपक ने की।
केंद्र की निदेशक श्रीमती कांता राय ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि आज देश के नामचीन लघुकथाकारों ने यहाँ पधारकर मुझे गौरवान्वित किया है। शोध केंद्र के सभी सदस्यों का समन्वित प्रयास है यह कार्यक्रम जो आप सभी के आशीर्वाद से पुष्पित एवम पल्लवित होता है।
स्व. माधवराव सप्रे के द्वारा लिखित प्रथम लघुकथा “एक टोकरी भर मिट्टी” का वाचन श्री राजुरकर राज एवम श्रीमती जया आर्य द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में विभिन्न पुस्तकों के विमोचन पश्चात दिल्ली से पधारे श्री बलराम अग्रवाल ने “वर्तमान लघुकथा परिदृश्य एवं संभावनाएँ” पर अपनी बात रखते हुए कहा कि लघुकथा लेखन में ध्यान इस पर देना चाहिए कि विषयों की विविधता हों।
डॉ. अशोक भाटिया ने अपने उद्बोधन में विदेशों में लिखी जा रही श्रेष्ठ लघुकथाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व में लघुकथा परिदृश्य बहुत विकसित है तथा चायनीज लघुकथायें बहुत सारगर्भित लिखी गई हैं।
श्री सूर्यकांत नागर ने “लघुकथाओं में आध्यात्मिक तत्व” पर बोलते हुए कबीर से सम्बद्ध लघुकथाओं को उद्धृत किया एवं स्वयम की लघुकथा ‘अच्छे पड़ोसी’ प्रस्तुत की।
अध्यक्षता करते हुए डॉ. देवेंद्र दीपक ने कहा कि अच्छी लघुकथा लिखने के लिए आवश्यक है कि आप अपनी लघुकथा लिखकर लम्बे समय तक के लिए छोड़ देना चाहिए बाद में जब हम पुनः उसको पढ़ते हैं तो कुछ नए विचार जुड़ते हैं और लेखन में परिमार्जन होता है। जो साहित्य पकता हो वही साहित्य पचता है |
कार्यक्रम का दूसरा महत्वपूर्ण सत्र ‘अलंकरण समारोह’ का था जिसका सफल और सरस संचालन गोकुल सोनी जी द्वारा किया गया। इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवम संस्थापक निदेशक पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर, अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ कथाकार एवं अध्यक्ष वनमाली सृजन पीठ मुकेश वर्मा एवम सारस्वत अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बिनय राजाराम एवं वरिष्ठ लघुकथाकार सतीश राठी उपस्थित थे | मंचस्थ अतिथियों ने डॉ. अशोक भाटिया, करनाल (हरियाणा) को प. माधवराव सप्रे स्मृति अखिल भारतीय लघुकथा अलंकरण, संतोष सुपेकर, उज्जैन को पद्मश्री रामनारायण उपाध्याय स्मृति प्रादेशिक लघुकथा सम्मान, डॉ. कुमकुम गुप्ता,भोपाल को मातुश्री धनवंती देवी स्मृति लघुकथा कृति सम्मान, पवन जैन, जबलपुर को पारस दासोत स्मृति लघुकथा कृति सम्मान एवं डॉ. ऋचा शर्मा, अहमदनगर (महाराष्ट्र) को विक्रम सोनी लघुकथा कृति सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर अन्य सोलह लघुकथाकारों अंजू खरबंदा, नेतराम भारतीय, सुरेश बरनवाल, नूतन गर्ग, वंदना गोपाल शर्मा, अपर्णा गुप्ता, राममूरत राही, विजय सिंह चौहान, अर्चना मंडलोई, सरिता बघेला, मनोरमा पंत, सदानंद कवीश्वर, अशोक धमेंनियां, रामचंद्र धर्मदासानी, यशोधरा भटनागर को उनकी सद्य प्रकाशित कॄतियों पर ‘लघुकथा श्री’ सम्मान भी प्रदान किये गए एवं रेणुका सिंह द्वारा स्व. कृष्णा देवी स्मृति सम्मान यू.के में रहने वाली सुश्री वंदना मुकेश शर्मा को प्रदान किया गया।
कार्यक्रमका तीसरा सत्र ‘सृजन और समीक्षा’ का रहा जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अनिल मीत वरिष्ठ साहित्यकार,नई दिल्ली अध्यक्षता डॉ. विकास दवे निदेशक साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश सँस्कृति परिषद भोपाल एवम सारस्वत अतिथि के रूप में प्रताप सिंह जी सोढ़ी, इंदौर ,सुभाष नीरव जी दिल्ली, निहालचंद जी शिवहरे एवम अंतरा करवड़े उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने किया। इस सत्र में विभिन्न वक्ताओं ने लघुकथा सृजन के वर्तमान परिदृश्य पर महत्वपूर्ण विचार रखे एवम ततपश्चात आयोजन में पधारे देशभर के लघुकथाकारों का लघुकथा पाठ हुआ। कार्यक्रम के अंत में शशि बंसल ने आभार प्रकट किया।
ई-अभिव्यक्ति की ओर से इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए डॉ ऋचा शर्मा जी एवं सभी सम्मानित साहित्यकारों का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈