श्री सदानंद आंबेकर 

(श्री सदानंद आंबेकर जी की हिन्दी एवं मराठी साहित्य लेखन में विशेष अभिरुचि है। गायत्री तीर्थ  शांतिकुंज, हरिद्वार के निर्मल गंगा जन अभियान के अंतर्गत गंगा स्वच्छता जन-जागरण हेतु गंगा तट पर 2013 से  निरंतर प्रवास। हम  श्री सदानंद आंबेकर  जी  के हृदय से आभारी हैं जिन्होंने हमारे पाठकों के लिए एक ऐसे अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की जानकारी दी है जिसके बारे में संभवतः बहुत कम  अथवा सीमित जानकारी है। श्री सदानंद जी इस विश्वविद्यालय में के नियमों के अनुरूप  शिक्षण कार्य भी करते हैं। बंधुवर  श्री सदानंद जी  का यह ज्ञानवर्धक आलेख निश्चित ही हमारे पाठकों को शिक्षा के क्षेत्र के इस ज्ञानमंदिर की अनुपम जानकारी उपलब्ध कराएगा।  इस अतिसुन्दर आलेख के लिए श्री सदानंद जी की लेखनी को नमन ।

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार : जीवन विद्या का आलोक केन्द्र 

विश्व की प्राचीन एवं आध्यात्मिक नगरी हरिद्वार में ऋषिकेश मार्ग पर अवस्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय एक विशिष्ट शैक्षणिक संस्थान एवं ज्ञान का आलोक केन्द्र है जिसका प्रमुख लक्ष्य है मानव में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण।

उत्तराखण्ड सरकार की विशेष अधिसूचना के अनुसार वर्ष 2002 में इसे विश्वविद्यालय का स्वरूप प्रदान किया गया। गंगा की गोद एवं हिमालय की छाया में विशाल हरित एवं शिवालिक श्रेणियों के निकट परिक्षेत्र में इस विश्वविद्यालय का निर्माण गायत्री परिवार के संस्थापक, संत-दार्शनिक, वेदमूर्ति पं श्रीराम शर्मा आचार्य जी की परिकल्पना के अनुसार हुआ है। उन्होंने कहा था – ऐसा एक विश्वविद्यालय देश में होना ही चाहिये जो सच्चे मनुष्य, बडे मनुष्य, महान मनुष्य, सर्वांगपूर्ण मनुष्य बनाने की आवश्यकता को पूर्ण कर सके।

गुरुकुल के रूप में विकसित इस विश्वविद्यालय में धर्म, दर्शन, संस्कृति, आदि पर आधारित पाठ्यक्रमों का शिक्षण एवं इनके समसामयिक बिन्दुओं पर शोध का कार्य होता है।

योग एवं मानव स्वास्थ्य, शिक्षा, कंप्यूटर साइंस, संचार, पत्रकारिता-जनसंचार, भारतीय संस्कृति एवं पर्यटन भाषा विज्ञान, ग्राम प्रबंधन प्राच्य अध्ययन  एवं पर्यावरण विषयों में सर्टिफिकेट से लेकर स्नातकोत्तर एवं चयनित विषयों में शोध की व्यवस्था यहाँ है।

न्यूनतम सहयोग लेते हुये समयदान आधार पर शिक्षक एवं कर्मचारीगण यहाँ अपना कार्य करते हैं। विद्यार्थियों को अनवरत ज्ञान धारा प्रदान करने हेतु लगभग सैंतीस हजार पुस्तकों का कंप्यूटरीकृत वाचनालय यहाँ पर है। विविध प्रयोगशालाओं में विद्यार्थी अपने ज्ञान का प्रायोगिक करके सूत्रों की सत्यता सिद्ध कर सकते हैं।

न्यूनतम शुल्क पर चलने वाले इस विश्वविद्यालय में गुरुदक्षिणा के रूप में हर विद्यार्थी को सामाजिक दायित्व का निर्वहन करने निर्धारित अवधि हेतु सामाजिक इंटर्नशिप हेतु क्षेत्रों में जाकर समयदान करना आवश्यक होता है।

योग एवं मानव चेतना के अनिवार्य विषयों के साथ हर सत्र का शुभारंभ ज्ञान दीक्षा जैसे प्रेरक संस्कार से होता है जिसमें विद्यार्थी को विद्यार्जन संबंधी अनुशासनों का संकल्प लेना होता है।

बाहरी तौर पर देखने पर किसी संस्था विशेष के दिखने वाले इस विश्वविद्यालय का आंतरिक स्वरूप एकदम भिन्न है। अनेक देशों यथा – रूस, जर्मनी, इटली, चीन, सं. रा. अमेरिक अर्जेंटीना एवं इंडोनेशिया आदि के नामांकित संस्थानों के साथ शिक्षण के अनुबंध हुये हैं जिनके यहां हमारे एवं उनके यहां से अनेक विद्यार्थी यहां पढने आते हैं।

अनेक अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों, गोष्ठियों, विचार मंचों का आयोजन एवं दीक्षांत समारोहों का आयोजन यहां हुआ है जिसमें महामहिम पूर्व राष्ट्रपति स्व कलाम साहब, महामहिम  पूर्व राष्ट्रपति स्व प्रणब मुखर्जी एवं श्री कैलाश सत्यार्थी जैसी विभूतियों का आगमन हुआ है जिससे विश्वविद्यालय के गौरव में बढोत्तरी हुई है।

विद्यार्थियों के समग्र व्यक्तित्व के विकास हेतु संगीत, चित्रकारी, योग प्रतियोगितायें, खेलकूद, जूड़ो आदि का शिक्षण भी दिया जाता है जिसमें यहां के छात्र अक्सर पदक प्राप्त करते हैं।

श्रेष्ठ मानव निर्माण करने वाली इस टकसाल – देव संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया ऑनलाईन आवेदन के बाद लिखित परीक्षा एवं व्यक्तिगत साक्षात्कार के साथ पूर्ण होती है जिसके माध्यम से अनगढ़ माटी को सुगढ़ आकार देकर श्रेष्ठ व्यक्तित्व निकाल कर राष्ट्र को समर्पित किये जाते हैं।

web ::  www.dsvv.ac.in

©  सदानंद आंबेकर

शान्ति कुञ्ज, हरिद्वार (उत्तराखंड)

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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