सुश्री इन्दिरा किसलय
☆ चार क्षणिकाएं ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆
1-
चाँद भी गोल
रोटी भी गोल
कौन किसे समझाये
दोनों का
अलग अलग भूगोल।।
2-
जाल बिछाकर
खुश है
बहेलिया
मुट्ठी भर दाने के लालच में
फँस ही जाती है
भोली चिड़िया।।
3-
वामन डग से
धरती नापने चले हैं
जो लोग
क्या कभी आसमां से भी
मिले हैं।।
4-
उजाले की सरहद पर
पर्दे
टांग देते हैं
वो नहीं जानते
जिद्दी अंधेरे
फिर भी
झाँक लेते हैं।।
♡ ♡ ♡ ♡ ♡
© सुश्री इंदिरा किसलय
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈