सुश्री इन्दिरा किसलय

☆ कविता ☆ प्राणान्तक पुकार !! ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆

पाषाणी प्रतिमा से

धर्मग्रन्थ के पन्नों से

बाहर निकल आओ

माँ

महिषासुरमर्दिनी

सकल आयुध साथ लेकर

*

हाहाकार कर रही हैं

दिशाएं

ठठा रहा है रक्तबीज

फाँसी का फंदा, बंदूक की गोली

काल कोठरी

उसमें  खौफ़ पैदा नहीं करती

*

वह जानता है

उसका जिस्म मरेगा

वो नहीं

*

उसके कुत्सित विचारों के

रक्तबिन्दु

हर दिशा में हो रहे हैं

साकार

*

कहां हैं योगिनियां

कहाँ हो माँ दुर्गा

प्रतीक्षा का अंत करो

क्या तुम्हें सुनाई

नहीं देती

प्राणान्तक पुकार !!

©  सुश्री इंदिरा किसलय 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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